तीर्थ पुरोहितों के विरोध से डरी भाजपा : डॉ. हरक सिंह को सौंपी गई मनाने की जिम्मेवारी

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पीएम के दौरे से पहले स्थिति सामान्य करने की कोशिश

देहरादून। देवस्थानम बोर्ड को समाप्त करने की मांग पर अड़े तीर्थ पुरोहितों के विरोध प्रदर्शन से भाजपा हैरान परेशान है। सत्ता में बैठे लोगों को अब डर सता रहा है कि दो दिन बाद 5 नवंबर को होने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के दौरान तीर्थ पुरोहित रंग में भंग न डाल दें। यही कारण है कि भाजपा तीर्थ पुरोहितों को मनाने में जुट गई है।
तीर्थ पुरोहितों को समझाने और मनाने की जिम्मेवारी काबीना मंत्री डॉ हरक सिंह को सौंपी गई है उनके साथ स्वामी यतिश्वरानंद भी कल केदारनाथ जाने वाले हैं। वहीं भाजपा ने आज फिर काबीना मंत्री धन सिंह रावत को केदारनाथ भेजा गया है। बीते कल जब वह मदन कौशिक और त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ केदारपुरी गए थे उन्हें तीर्थ पुरोहितों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा था तथा त्रिवेंद्र सिंह रावत को मंदिर से पहले ही रोक दिया गया था और उन्हें बाबा के दर्शन तक नहीं करने दिए गए थे।
देवस्थानम बोर्ड भाजपा के लिए एक बड़ी मुसीबत का सबब बन गया है। सरकार के लिए इस एक्ट को रद्द करना भी आसान काम नहीं है और अगर वह एक्ट को रद्द नहीं करती है तो तीर्थ पुरोहितो की नाराजगी को खत्म नहीं किया जा सकता है। भले ही पुष्कर धामी इस समस्या का सर्व सम्मत समाधान निकालने की बात कर रहे हो लेकिन उन्हें भी ऐसा कोई आसान रास्ता नहीं मिल पा रहा है जो इसका समाधान बन सके।
इस बाबत डॉ हरक सिंह का कहना है कि कल हुई घटना के लिए दोनों ही पक्ष जिम्मेवार है। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को ऐसी स्थिति में केदारनाथ धाम जाना ही नहीं चाहिए था। वही तीर्थ पुरोहितों को भी घर आए मेहमान का इस तरह से अनादर नहीं करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत अब मुख्यमंत्री नहीं है इसलिए तीर्थ पुरोहितों को उनसे बात करनी चाहिए थी। यहां यह उल्लेखनीय है की त्रिवेंद्र सिंह रावत जो इस एक्ट को लेकर आए थे वह अभी भी इसे सही ठहराते रहे हैं तथा उनका मानना है कि कोई इसका विरोध नहीं कर रहा है विरोध करने वाले चंद मुठ्ठी भर लोग हैं। उनकी इस सोच से भी तीर्थ पुरोहित नाराज है।

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