राज्य योजना आयोग की जगह अब सेतु आयोग

0
241

मुख्यमंत्री धामी होंगे अध्यक्ष, नियोजन मंत्री उपाध्यक्ष
विकास योजना को नई रफ्तार मिलने की उम्मीद

देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने अब राज्य योजना आयोग को समाप्त कर दिया गया है। विकास योजनाओं के नियोजन का काम अब सेतु आयोग द्वारा किया जाएगा। सरकार द्वारा आज इस आशय का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है।
केंद्र सरकार द्वारा जिस तरह से केंद्रीय आयोग को समाप्त कर नीति आयोग को अस्तित्व में लाया गया था उसी तर्ज पर अब राज्य सरकार द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर राज्य योजना आयोग की जगह अब सेतू आयोग का गठन कर दिया गया है हालांकि राज्य सरकार द्वारा इस आशय के प्रस्ताव को पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है लेकिन आज इसका शासनादेश जारी कर दिया गया है। इसके साथ ही उत्तराखंड राज्य अब उन 7 राज्यों की सूची में शामिल हो गया है जो पहले ही अपने राज्य आयोगों को खत्म कर चुके हैं।
सेतु आयोग के अध्यक्ष का कार्यभार मुख्यमंत्री संभालेंगे तथा इस आयोग में नियोजन मंत्री को उपाध्यक्ष के रूप में शामिल किया गया है। नियोजन मंत्री न होने की स्थिति में किसी मंत्री को उपाध्यक्ष के पद पर नियुक्ति करने का अधिकार मुख्यमंत्री के पास होगा। इसके अतिरिक्त सेेतु आयोग में 2 अपर सचिव स्तर के अधिकारी और तीन अन्य सदस्य भी होंगे जो अलग—अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ होंगे। यह अलग बात है कि सेतु आयोग का काम भी वही होगा जो राज्य योजना आयोग का होता था लेकिन इसके कामकाज का तरीका अलग होगा।
केंद्र सरकार द्वारा राज्य के योजना आयोग को खत्म कर इसकी जगह सेतु आयोग लाने वाले राज्यों को ढांचागत विकास के लिए 5 करोड़ की धनराशि मुहैया कराई जाती है जो नए विस्थापना कार्यो पर खर्च होगी।
सेतु आयोग द्वारा राज्य की विकास योजनाओं की प्राथमिकता तय करने और उनके निर्धारित समय पर पूरा करने तथा निर्धारित व्यय में पूरा करने की चुनौती होगी। सरकार का मानना है कि सेतु आयोग योजना आयोग से बेहतर तरीके से काम करेगा और विभिन्न विभागों के बीच बेहतर तालमेल बनाने का काम करेगा जिससे काम न सिर्फ निर्धारित समय में पूरे हो सकेंगे बल्कि उनकी योजनागत लागत में कमी आएगी। और काम की गुणवत्ता में भी सुधार आएगा। सेतु आयोग के फैसले को इस लिहाज से एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here