नवंबर के दूसरे सप्ताह में हो सकता है शीतकालीन सत्र
देहरादून। विधानसभा का शीतकालीन सत्र कब और कहां आयोजित किया जाए तथा सत्र में किन मुद्दों को प्राथमिकता के आधार पर रखा जाए? इस पर विचार मंथन के लिए आज स्पीकर ऋतु खंडूरी द्वारा सर्वदलीय बैठक की जा रही है। बैठक के नतीजे चाहे जो रहे लेकिन एक बात साफ है कि भाजपा की पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सरकार ने भले ही गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर दिया हो लेकिन इस मुद्दे पर राजनीति अभी भी जारी है।
कांग्रेस जो गैरसैंण को राजधानी बनाने का श्रेय लेती रही और भाजपा को इस मुद्दे पर घेरती रही है कि उसने बीते 6 सालों के कार्यकाल में गैरसैंण में कोई भी विकास कार्य नहीं किया। एक बार फिर धामी सरकार द्वारा अपना पहला बजट सत्र देहरादून में आयोजित कर काग्रेस को अब यह मौका दे दिया है कि वह सरकार पर यह कहकर निशाना साध रही है कि जब गैरसैंण में कोई सत्र ही नहीं किया जा रहा है तो काहे की राजधानी। साथ—साथ कांग्रेस का आरोप है कि अगर भाजपा सरकार ने 6 साल में वहां कुछ विकास कार्य कराए होते तो सत्र के आयोजन में कोई दिक्कत क्यों होती।
कांग्रेस चाहती है कि सरकार शीतकालीन सत्र गैरसैंण में कराए, साथ ही कांग्रेस का कहना है कि इसके लिए उसे अच्छे इंतजाम करने होंगे। भले ही अभी यह तय नहीं है कि सत्र कहां होगा और कब होगा लेकिन स्पीकर ऋतु खंडूरी द्वारा यह प्रयास जरूर किए जा रहे हैं कि वह विपक्ष को देहरादून में सत्र आयोजित करने पर राजी कर ले। आज की उनकी बैठक का प्रमुख एजेंडा यही है। स्पीकर खंडूरी के कार्यकाल में अभी तक गैरसैंण में भले ही एक भी सत्र का आयोजन न हुआ हो लेकिन उन्हें पता है कि देश में सबसे अधिक ऊंचाई वाले स्थान गैरसैंण में अगर सत्र का आयोजन किया जाता है तो उसमें किस—किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि इसके विगत के अनुभव यही रहे हैं कि मंत्री व विधायक सत्र समाप्त होने से पहले ही गैरसैंण से चले आए और तय समय से पूर्व ही सत्र का समापन कर लिया गया। समाचार लिखे जाने तक विधानसभा में बैठक जारी थी। सत्र कब होगा इसके बारे में अभी इतना ही कहा जा सकता है कि राज्य स्थापना दिवस 9 नवंबर के बाद ही यह सत्र आयोजित किया जा सकेगा और सरकार इसे देहरादून में ही कराएगी। लेकिन इस मुद्दे पर सियासत गरमाई हुई है