प्रदूषण फैलाओ और 9 साल पहले मर जाओ!

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भारत दुनिया का सबसे प्रदूषित देश, दिल्ली लगातार तीसरे साल प्रदूषण में नम्बर वन

नई दिल्ली। एक अमेरिकी शोध समूह द्वारा बुधवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण लगभग 40 फीसदी भारतीयों की जीवन प्रत्याशा नौ साल से अधिक कम हो सकती है। इस रिपोर्ट में भारत को सबसे प्रदूषित देश बताया गया है। शिकागो विश्वविद्यालय (ईपीआईसी) में एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट में कहा गया है कि राजधानी नयी दिल्ली सहित मध्य, पूर्वी और उत्तरी भारत के विशाल इलाकों में रहने वाले 480 मिलियन से अधिक लोग प्रदूषण के उच्च स्तर को झेलते हैं। ईपीआईसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि चिंताजनक रूप से, भारत के वायु प्रदूषण के उच्च स्तर का भौगोलिक रूप से समय के साथ विस्तार हुआ है। उदाहरण के लिए, पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश मध्य प्रदेश में हवा की गुणवत्ता काफी खराब हो गयी है। खतरनाक प्रदूषण स्तरों पर लगाम लगाने के लिए 2019 में शुरू किये गये भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम की सराहना करते हुए, ईपीआईसी रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीएपी लक्ष्यों को प्राप्त करने और बनाए रखने से देश की समग्र जीवन प्रत्याशा 1.7 वर्ष और नयी दिल्ली की 3.1 वर्ष बढ़ जायेगी। एनसीएपी का उद्देश्य औद्योगिक उत्सर्जन और वाहनों के निकास में कटौती सुनिश्चित करके, परिवहन ईंधन और बायोमास जलाने के लिए कड़े नियम पेश करके और धूल प्रदूषण को कम करके 2024 तक 102 सबसे अधिक प्रभावित शहरों में प्रदूषण को 20 फीसदी से 30 फीसदी तक कम करना है। इसमें बेहतर निगरानी प्रणाली भी शामिल होगी। स्विस समूह आईक्यू एयर के अनुसार, नयी दिल्ली 2020 में लगातार तीसरे वर्ष के लिए दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी थी, जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले वायुजनित कणों की एकाग्रता के आधार पर वायु गुणवत्ता के स्तर को मापती है, जिसे पीएम 2.5 के रूप में जाना जाता है। पिछले साल नयी दिल्ली के 20 मिलियन निवासी, जिन्होंने कोरोनोवायरस लॉकडाउन प्रतिबंधों के कारण गर्मियों में रिकॉर्ड पर सबसे स्वच्छ हवा में सांस ली।

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