- अब हयूम पाइप से श्रमिकों को निकालने की कोशिश
- श्रमिक की तबीयत बिगड़ने की खबर, दवाई भेजी
उत्तरकाशी। सिलक्यारा टनल हादसे को 60 घंटे का समय बीत चुका है। रेस्क्यू ऑपरेशन का प्लान ए असफल हो जाने के बाद बचाव और राहत कार्यों में लगे विशेषज्ञों द्वारा अपने प्लान बी पर काम शुरू कर दिया गया है। जिसको पूरा होने में अभी 30 से 40 घंटे का समय लग सकता है। हालांकि प्रशासनिक दावों के अनुसार सुरंग में फंसे सभी 40 श्रमिकों के सुरक्षित होने की बात कही जा रही है लेकिन कुछ श्रमिकों की तबीयत बिगड़ने और उल्टी होने की खबर भी है जिनके लिए डॉक्टरों की टीमों द्वारा दवाई भी भिजवाई गई है।
हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी टीमों द्वारा पहले सुरंग से मलवा निकालकर इन फंसे हुए श्रमिकों तक पहुंचने या उनके बाहर आने का रास्ता बनाने की कोशिश की गई लेकिन लगातार पहाड़ से मलवा आने के कारण यह प्रयास सफल नहीं हो सका। इसके बाद रेस्क्यू के बी प्लान पर काम शुरू हुआ और ड्रिलिंग के जरिए फंसे हुए श्रमिकों तक 900 एमएम व्यास वाले लोहे के पाइप पहुंचकर उनके जरिए उन्हें बाहर निकलने पर काम किया जा रहा है। आपदा सचिव रंजीत सिंह ने भले ही देर रात से इस काम को शुरू होने की बात कही गई हो लेकिन हरिद्वार से हयूम पाइप पहुचने और ड्रिलिंग सिस्टम से उन्हें अंदर पहुंचाने का यह काम आज सुबह शुरू किया गया है। क्योंकि इसके लिए रेल ट्रैक की तरह लाइन बिछाने व पाइपों को वेल्डिंग के जरिए जोड़ने और फिर मलवे में ड्रिलिंग जैसे लंबे प्रोसीजर से गुजरना पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सब कुछ ठीक—ठाक चला रहा तो 1 घंटे में 1 मीटर पाइप ड्रिल हो पाता है। सुरंग के अंदर 40 से 50 मीटर के हिस्से में मलवा भरे होने की जानकारी सामने आई है ऐसे में इस ऑपरेशन को पूरा करने में अभी कम से कम आज का पूरा दिन व आने वाली रात व अगला पूरा दिन व रात का समय लग सकता है। ऐसी स्थिति में सुरंग में फंसे मजदूरों की जान की सुरक्षा भी एक बड़ा सवाल बनी हुई है। हालांकि अभी तक सभी के सुरक्षित होने की बात कही जा रही है उनके पास जरूरत का हर सामान भी पहुंच रहा है लेकिन समय बढ़ने के साथ उनकी सुरक्षा की चिंता भी बढ़ना स्वाभाविक है।
भले ही मौके पर राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा सहायता के लिए जरूरी हर इंतजाम किया जा रहा है तथा युद्ध स्तर पर बचाव व राहत कार्य जारी है लेकिन जिस तरह की स्थितियां है उसमें इन श्रमिकों के परिजनों की चिंता और बेचैनी का बढ़ना भी लाजमी है। मुख्यमंत्री खुद इस ऑपरेशन पर नजर बनाए हुए हैं और पल—पल की जानकारी ले रहे हैं उनकी प्रधानमंत्री मोदी से भी कई दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन जब तक ऑपरेशन सिलक्यारा पूरा नहीं हो जाता इसके बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है मुख्यमंत्री धामी भी बार—बार यह कह रहे हैं कि उनकी पहली प्राथमिकता सुरंग में फंसे श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने की है।
- श्रमिकों के परिजन भी मौके पर पहुंचे
उत्तरकाशी। हादसे की खबर मिलने के बाद सुरंग में फंसे श्रमिकों के परिजनों का भी घटनास्थल पर पहुंचना शुरू हो गया। उत्तराखंड के गोवर्धन नेगी जो सुरंग में फंसे हुए हैं आज उनका बेटा और भाई दुर्घटना स्थल पर पहुंचे। प्रशासन के अधिकारियों द्वारा ऑक्सीजन सप्लाई पाइप के जरिए उनकी बात गोवर्धन नेगी से कराई गयी। उनके बेटे का कहना है कि उनकी पापा से बात हुई है वह सुरक्षित है तथा सभी का हौसला बढ़ा रहे हैं उनका कहना है की चिंता मत करो हम एक—दो दिन में बाहर आ जाएंगे।
- ड्रिल मशीन टूटी, काम आसान नही
उत्तरकाशी। पाइप ड्रिलिंग का काम भी कोई आसान काम नहीं है। आज जब इस काम को शुरू किया गया तो कुछ आगे बढ़ने पर एक पत्थर के रास्ते में आने से काम रुका इस पत्थर को तोड़ने की कोशिश में ड्रिल मशीन ही टूट गई इसके बाद दूसरी ड्रिल मशीन लाई गई दरअसल 50 मीटर सुरंग धसने से इस मलवे में कई बड़े पत्थर भी आ गए हैं जो काम में रुकावट डाल रहे हैं। वैसे भी एक मीटर पाइप 1 घंटे में ड्रिल किया जा सकता है जिससे इस ऑपरेशन को पूरा होने में 40—45 घंटे का समय लग सकता है।