अब देश में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यीय समिति करेगी

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नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि अब देश में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यीय समिति करेगी। इस समिति में प्रधानमंत्री, देश के प्रधान न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता होंगे। सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए चुनावों में पारदर्शिता को बढ़ावा देते रहना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर आदेश देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारत के चीफ जस्टिस की समिति चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए सदस्यों का चयन करेगी। कोर्ट ने कहा कि अगर नेता प्रतिपक्ष मौजूद नहीं हैं तो लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति संबंधी समिति में लिया जाएगा। कोर्ट ने अपने फैसले में आगे कहा कि निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारत के प्रधान न्यायाधीश की समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी। इस पूरे मामले पर जस्टिस केएम जोसेफ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया। इस पीठ में जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस ऋषिकेश रॉय और सीटी रविकुमार भी शामिल थे।
इससे पहले पीठ ने पिछले साल 24 नवंबर को इस मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में पूर्व नौकरशाह अरुण गोयल को निर्वाचन आयुक्त नियुक्त करने में केंद्र द्वारा दिखाई गई ‘जल्दबाजी’ पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उनकी फाइल 24 घंटे में विभागों से बिजली की गति से पास हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयुक्त और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी व्यवस्था बनाने का अनुरोध करने वाली कई याचिकाओं पर यह अहम फैसला सुनाया है।

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