June 14, 2025इंफाल। मणिपुर में मणिपुर पुलिस, सीएपीएफ, सेना और असम राइफल्स के संयुक्त अभियान के दौरान बड़ी सफलता मिली है। घाटी के 5 जिलों के बाहरी इलाकों से हथियारों का जखीरा बरामद हुआ है। इन हथियारों में 151 एसएलआर राइफल, 65 इंसास राइफल, 73 अन्य प्रकार की राइफल, 5 कार्बाइन गन, 2 एमपी-5 गन और अन्य सहित विस्फोटक और अन्य युद्ध सामग्री बरामद की गई है। मणिपुर पुलिस के एडीजीपी लहरी दोरजी ल्हाटू ने कहा, ‘मणिपुर पुलिस, सीएपीएफ, सेना और असम राइफल्स की संयुक्त टीमों द्वारा 13-14 जून की मध्य रात्रि में घाटी के 5 जिलों के बाहरी इलाकों में तलाशी अभियान चलाया गया था। इस दौरान बड़ी संख्या में विस्फोटक और अन्य युद्ध सामग्री बरामद की गई।’उन्होंने बताया, 151 एसएलआर राइफल, 65 इंसास राइफल, 73 अन्य प्रकार की राइफल, 5 कार्बाइन गन, 2 एमपी-5 गन और अन्य युद्ध सामग्री बरामद की गई है। बरामद की गई कुल बंदूकें और राइफलों की संख्या 328 है। ये खुफिया-आधारित ऑपरेशन मणिपुर पुलिस और सुरक्षा बलों के लिए सामान्य स्थिति बहाल करने, सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने और नागरिकों और उनकी संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उनके निरंतर प्रयासों में एक बड़ी उपलब्धि है।
June 14, 2025कंधों पर सजे सितारे तो छलक आए आंसू देश सेवा के जज्बे को देखकर हुई गर्व की अनुभूति देहरादून। राजधानी देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी परिसर में आयोजित की गई पासिंग आउट परेड के संपन्न होने के साथ ही आईएमए के इतिहास में एक और स्वर्णिम पन्ना जुड़ गया जब 451 कैडिटोंं ने पासिंग परेड का हिस्सा बनते हुए देश की सुरक्षा की शपथ ली। पासिंग परेड के बाद परिजनों ने कंधों पर जब सितारे सजाए तो कई लोगों के लिए यह पल इतने भावुक एहसास के थे कि आंखों से आंसू छलक पड़े।आज कड़ी सुरक्षा के बीच हुई पासिंग आउट परेड सुबह 6 बजे शुरू हुई। 156वें पासिंग आउट परेड की सलामी श्रीलंका के सेना प्रमुख लासांथा रोड्रिगो ने ली। उल्लेखनीय है कि लेफ्टिनेंट जनरल लासांथा ने खुद भी दिसंबर 1999 में आईएमए देहरादून से ही कमीशन प्राप्त किया था, जो आज संपन्न हुई पासिंग आउट परेड में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। आज की पासिंग आउट परेड में कुल 451 कैडिटो ने भाग लिया है जिसमें 419 भारतीय हैं तथा 32 कैडेट मित्र राष्ट्रों के हैं। भारतीय सैन्य अकादमी ने अब तक देश को प्रशिक्षित सैन्य अधिकारी देने के साथ ही विश्व भर के मित्र राष्ट्रों को हजारों की संख्या में सैन्य अधिकारी दिए हैं।सेना में कमीशन पाने की सफलता और गर्व क्या होता है हर एक पासिंग आउट परेड में इसकी अनुभूतियों को देखा जा सकता है। ठीक उसी क्रम में आज भी पहले मार्च पास्ट, सलामी और परेड के दौरान इन जाबाजों का अद्भुत प्रदर्शन देखने को मिला। इसके बाद अपनी भावी पीढ़ी के स्वर्णिम भविष्य की तस्वीर को देखने और उसके साक्षी बनने आए परिजनों की खुशियां भी उनके चेहरे पर उसे वक्त साफ नजर आई जब वह अपने सपूतों के कंधों पर सितारे सजा रहे थे। अत्यंत ही भावनात्मक इन क्षणों में कई लोगों की आंखों में खुशियों के आंसू देखे गए।एक साल की कठिन और अत्यंत कड़ी ट्रेनिंग के बाद इस मुकाम तक पहुंच कर कैडिटों के चेहरे भी खुशी से चमक रहे थे। पासिंग आउट परेड की सुरक्षा के मद्देनजर कड़े सुरक्षा प्रबंध किए गए थे तथा मुख्य मार्ग से ट्रैफिक को भी डायवर्ट किया गया था।
June 14, 2025भूमाफिया का जंगल में कब्जे का मामला डीएफओ, रेंजर व फारेस्टर को सस्पेंड करने की मांग देहरादून। राजधानी देहरादून में भूमाफियाओं के हौंसले कितने बुलंद हो चुके है इसकी बानगी नालापानी क्षेत्र के जंगल में सामने आयी है। यहंा भूमाफिया द्वारा जगंल के बीचोबीच निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया हालांकि मामले की जानकारी मिलने के बाद ग्रामीणों ने वन विभाग व पुलिस की मौजूदगी में अवैध रूप से हुए इस कब्जे को हटा दिया गया। ग्रामीणों की मांग है कि क्षेत्र के डीएफओ, रेंजर व फारेस्ट गार्ड की मांमले में मिली भगत है इसलिए उनको संस्पेड किया जाये बता दें कि नालापानी क्षेत्र के खंलगा मार्ग पर हल्दूआम के पास जंगल में 40 बीघा जमीन पर भूमाफिया द्वारा कैंप लगाने की तैयारी शुरू कर दी गयी थी। जबकि मामले में वन विभाग बेखबर था। मामले की जानकारी जब ग्रामीणो को हुई तो उन्होने इसका विरोध करना शुरू कर दिया और वन विभाग को इसकी सूचना दी। सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और उसने कोई कार्यवाही नहीं की। इस बात से गुस्साये ग्रामीण आज सुबह एकत्र हुए और उन्होने वन विभाग के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कब्जे वाली जगह पर धावा बोल दिया। मामले की जानकारी मिलने पर वन विभाग और पुलिस की टीम भी मौके पर पहुंची और उन्होने ग्रामीणों को समझाया। लेकिन ग्रामीणों ने उनकी एक न सुनते हुए सारे अवैध अतिक्रमण को धराशाही कर के ही दम लिया। मामले में जब रायपुर पुलिस से जानकारी ली गयी तो पुलिस का कहना था कि अभी किसी की तरफ से कोई शिकायत नही ं की गयी है शिकायत मिलने पर कार्यवाही की जायेगी। वहीं ग्रामीणो का कहना है कि इस मामले में वन विभाग के लोगों की मिली भगत है इसलिए डीएफओ, रेंजर व फारेस्टर को संस्पेड किया जाये।
June 14, 2025देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारत—तिब्बत सीमा पुलिस बल के हिमाद्री ट्रैकिंग अभियान—2025 को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।आज यहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय से भारत—तिब्बत सीमा पुलिस बल (आईटीबीपी) के हिमाद्री ट्रैकिंग अभियान—2025 को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अहमदाबाद विमान दुर्घटना में दिवंगत हुए सभी यात्रियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की। विमान दुर्घटना में दिवंगतों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर आईटीबीपी के वीर जवानों, अधिकारियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह अभियान न केवल साहस और संकल्प का प्रतीक है, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों की सामरिक सुरक्षा और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि आईटीबीपी का 45 सदस्यीय दल इस अभियान के अंतर्गत उत्तराखंड से हिमाचल प्रदेश होते हुए लद्दाख तक लगभग 1032 किलोमीटर की कठिन यात्रा करेगा। यह अभियान न केवल सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों की निगरानी सुनिश्चित करेगा, बल्कि धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों की पहचान तथा स्थानीय परंपराओं को प्रोत्साहित करने में भी सहायक सिद्ध होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह गर्व का विषय है कि वीरभूमि उत्तराखंड से बड़ी संख्या में सेना और अर्धसैनिक बलों में सेवा करने वाले वीर जवान देश की रक्षा में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत—तिब्बत सीमा पुलिस बल, वर्ष 1962 से लगातार देश की सीमाओं की रक्षा के साथ—साथ आपदाओं के समय भी राहत व बचाव कार्यों में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सशस्त्र बलों के सशक्तिकरण के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए कहा कि ट्टऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से भारत ने एक बार फिर साबित किया कि देश की सुरक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता अटल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सैनिकों और उनके परिजनों के कल्याण के लिए निरंतर कार्य कर रही है। शहीदों के परिजनों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि को 10 लाख से बढ़ाकर 50 लाख किया गया है, वीरता पुरस्कार प्राप्त सैनिकों को दी जाने वाली धनराशि में वृद्धि की गई है, और बलिदानियों के आश्रितों को सरकारी नौकरी में समायोजन की अवधि को दो वर्ष से बढ़ाकर पाँच वर्ष कर दिया गया है। वीरता पुरस्कार प्राप्त सैनिकों और पूर्व सैनिकों को सरकारी बसों में निशुल्क यात्रा, संपत्ति की खरीद पर स्टाम्प ड्यूटी में छूट, और बेटियों के विवाह हेतु विशेष अनुदान जैसी योजनाएँ भी चलाई जा रही हैं। आईजी आईडीबीपी श्री संजय गुंज्याल ने कहा कि हिमाद्री ट्रैकिंग अभियान के तहत आईटीबीपी का दल कुल 1032 किमी की दूरी तय करेगी। इसमें दल 27 घाटियों और 27 दर्रों को पार करेगा। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के साथ ही वाइब्रेंट विलेज क्षेत्रों में एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि इस ट्रेकिंग रूट में कुल 84 वाइब्रेंट विलेज आयेंगे। इस दौरान अभियान दल द्वारा स्थानीय लोगों को 3.5 लाख फलदार पौधे भी वितरित किए जाएंगे। इस अवसर पर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, सचिव गृह श्ौलेश बगौली, डीजीपी दीपम सेठ, आईजी आईटीबीपी गिरीश चन्द्र उपाध्याय एवं आईटीबीपी के जवान मौजूद थे।
June 14, 2025वह जमाने अब लद चुके हैं जब किसी सरकारी ओहदे पर अधिकारी और मंत्री सरकारी संसाधनों का उपयोग सिर्फ सरकारी काम काज के लिए ही करते थे और किसी भी घटना दुर्घटना की जिम्मेवारी स्वयं लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया करते थे। जैसे सन 1956 में तत्कालीन रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने दे दिया था। उनके कार्यकाल में पहली बड़ी रेल दुर्घटना महमूद नगर में हुई जिसमें 112 लोगों की जान चली गई थी तब लाल बहादुर शास्त्री ने इस हादसे की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। तब जवाहरलाल नेहरू ने उनका यह इस्तीफा यह कहते हुए मंजूर कर लिया गया था कि पद पर बैठे लोगों को उनकी जिम्मेदारी का एहसास होना तो जरूरी है ही साथ ही हमें इसकी नजीर भी पेश करनी होगी इसलिए उनका इस्तीफा स्वीकार है। लेकिन शायद अब अपनी नैतिक जिम्मेदारी और ईमानदारी का एहसास हमारे किसी नेता अथवा अधिकारी को नहीं रहा है। यही कारण है कि आज राजनीति और ब्यूरोक्रेसी से नैतिकता और जिम्मेवारी जैसे शब्दों का लोप हो चुका है। बीते दो दिन पूर्व अहमदाबाद में हुए एक बड़े हादसे में लगभग ढाई सौ लोगों की मौत हो गई तथा 50 के आसपास लोग जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। नेताओं द्वारा डिजिटल के इस युग में एक्स पर शोक संवेदना जताने वालों की बाढ़ आई हुई है। ऐसा लगता है कि यह सब घड़ियाली आंसू ही बहा रहे हैं या फिर इसलिए शोक संवेदनाएं दे रहे हैं कि कल कोई उनसे यह न कहे कि उन्हें मरने वालों से कुछ लेना—देना नहीं है उन्होंने दो शब्द संवेदना के भी नहीं कहे। इस घटना को लेकर बीते कल विपक्षी दलों के नेताओं के स्वर भी सुनाई दे रहे हैं जो प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री और उड्डयन मंत्री से इस्तीफा मांग रहे हैं। भले ही इस्तीफे की मांग करने वाले यह नेता भी अपनी राजनीति चमकाने के लिए ही जिम्मेदार पदों पर बैठे इन जिम्मेवार लोगों से इस्तीफे की मांग कर रहे हों लेकिन अहम सवाल यह है कि देश भर में होने वाली तमाम हृदय विदारक घटनाओं पर देशवासियों का खून खौले या उन्हें गुस्सा आए हमारे नेताओं और अधिकारियों को कुछ क्यों नहीं होता है। क्या उसके चाल चरित्र और जीवन से नैतिकता जैसी चीज बिल्कुल समाप्त हो चुकी है? अभी पहलगाम में जो आतंकी हमला हुआ तथा इससे पूर्व पुलवामा में जो कुछ भी हुआ था वह कितना दुखद था इसका एहसास एक आदमी को हिला कर रख देता है लेकिन सत्ता में बैठे लोगों को इसका रत्ती भर फर्क नहीं पड़ा अगर पड़ा होता तो सिंदूर पर सियासत नहीं हो रही होती। देश का एक राज्य मणिपुर जहां से मानवता को शर्मसार करने वाली तमाम तस्वीरें आई लेकिन किसी को भी इन्हें देखकर शर्म नहीं आई। अगर आई होती तो किसी न किसी ने तो उसकी नैतिक जिम्मेदारी ली होती और अपने पद से इस्तीफा देने का साहस दिखाया होता। यह घटनाएं तो महज एक बानगी भर है आये दिन देश के किसी भी हिस्से से ऐसी घटना दुर्घटनाओं की खबरें आती रहती हैं। लेकिन देश में जो कुछ चल रहा है या हो रहा है उसे लेकर किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। आज जो हुआ कल भुला दिया जाता है और यूं ही देश रामभरोंसे चलाया जा रहा है और चलता रहेगा।
June 14, 2025हरिद्वार। हरिद्वार के गंगा किनारे बसे एक गांव में मगरमच्छ ने ग्रामीण पर हमला कर दिया। गम्भीर रूप से घायल ग्रामीण को अस्पताल पहुंचाया गया। जहंा से उसे प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर रैफर कर दिया गया है।जानकारी के अनुसार लक्सर तहसील क्षेत्र के डूंगरपुर गांव निवासी ईश्वर चंद और जोगिंद्र ने बताया कि उनके गांव में रहने वाले सुरेश का घर तालाब के पास स्थित है। आज सुबह वो किसी काम से तालाब के पास पहुंचे। तभी तालाब से निकले एक मगरमच्छ ने उन पर हमला कर दिया। मगरमच्छ ने सुरेश का हाथ अपने जबड़े में दबा लिया। लेकिन हिम्मत करके जैसे तैसे सुरेश ने मगरमच्छ से हाथ छुड़ाया। चीख पुकार सुनकर अन्य ग्रामीण भी मौके पर पहुंचे तो मगरमच्छ फिर से तालाब में भाग गया। मगरमच्छ के हमले में ग्रामीण के हाथ की खाल तक उतर गई और नसें तक कट गई हैं। इसके बाद एम्बुलेंस बुलाकर उन्हें इलाज के हरिद्वार के जिला अस्पताल भेजा गया।ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में भी उनके गांव में कई मगरमच्छ पकड़े जा चुके हैं। इस बार भी तालाब में मगरमच्छ इकट्ठा हो गए हैं। लिहाजा वो प्रशासन से मांग करते हैं कि तालाब कि सफाई कराई जाए और मगरमच्छ को पकड़कर कहीं दूर छोड़ा जाए। रेंज अधिकारी श्ौलेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि मगरमच्छ के हमले की सूचना मिलते ही टीम मौके पर भेजी गई है। जल्द ही मगरमच्छ को पकड़कर कहीं दूर सुरक्षित स्थान पर छोड़ा जाएगा।