किसान आंदोलन की आग

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किसान आंदोलन की आग से उत्तराखंड भी अछूता नहीं है, सियासी मुद्दा बन चुके किसान आंदोलन का राज्य के विधानसभा चुनावों का प्रभावित होना स्वाभाविक है। लखीमपुर हत्याकांड के बाद इस किसान आंदोलन की आग जिस तरह से पूरे देश में भड़की है उसे लेकर अब भाजपा भी हैरान परेशान हैं। आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब सहित जिन पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं उन राज्यों में खासतौर पर विपक्षी नेता किसान आंदोलन को हवा देने में जुटे हुए हैं। प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में इस मुद्दे पर एक सशक्त आंदोलन खड़ा कर दिया है। वहीं उत्तराखंड में भी कांग्रेस तथा आप और यूकेडी के नेता सरकार की घेराबंदी का कोई भी मौका नहीं छोड़ रहे हैं बीते कल इस मुद्दे पर जहां दून में प्रदर्शन हुआ वहीं किच्छा दौरे पर गए मुख्यमंत्री को किसानों ने काले झंडे दिखाए तथा उनका विरोध किया। जिसके कारण 50 किसानों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। भले ही उत्तराखंड में कृषि भूमि कम होने के कारण किसानों की संख्या कम सही लेकिन हरिद्वार नैनीताल और उधम सिंह नगर जिले की तमाम सीटों पर किसान मतदाताओं की संख्या इतनी अधिक है कि उनके समर्थन के बिना कोई भी राजनीतिक दल जीत नहीं सकता है। लखीमपुर की हिंसा जिसमें 4 किसानों की मौत का आरोप भाजपा के केंद्रीय मंत्री के बेटे पर है, की घटना का सर्वाधिक प्रभाव उत्तर प्रदेश के चुनाव पर पड़ने वाला है यही कारण है कि यूपी की योगी सरकार इस मामले में तेजी से कार्रवाई करने में जुटी है लेकिन विपक्ष मंत्री की बर्खास्तगी पर अड़ा हुआ है उनका कहना है कि अजय मिश्रा के मंत्री रहते इस घटना के पीड़ितों को न्याय मिलना संभव नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा भी इस मुद्दे को लेकर यूपी और उत्तराखंड में सबसे अधिक सक्रिय है। 11 माह से चले आ रहे इस किसान आंदोलन के दौरान सरकार का जो नकारात्मक रवैया रहा है वह आज सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका है सैकड़ों किसानों की जान इस आंदोलन में जा चुकी है फिर भी केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री इसके समाधान की ओर नहीं बढ़ते दिख रहे हैं इसके उलट इस मुद्दे पर विपक्षी एकता दिनोंदिन मजबूत होती जा रही है अभी महाराष्ट्र सरकार द्वारा लखीमपुर हिंसा को लेकर राज्य में बंद रखा गया था जिसका व्यापक असर देखा गया था। उत्तराखंड की 30 से अधिक विधानसभा सीटों पर इस आंदोलन का गंभीर प्रभाव होगा। उत्तराखंड भाजपा के नेता भी इसे लेकर चिंतित है। उनकी कोशिश है कि राज्य में किसान आंदोलन को चुनाव तक किसी भी तरह की हवा नहीं मिलनी चाहिए। धामी भी किसानों की समस्याओं को लेकर गंभीर है लेकिन जिन तीन कृषि कानूनों के विरोध में यह आंदोलन चल रहा है उन पर कोई निर्णय जब तक केंद्र सरकार नहीं लेगी आंदोलन की यह आग रुकने वाली नहीं है।

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