जुगाड़ वाहनों पर नहीं लगाम, दौड़ रहे है खुलेआम

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देहरादून। यातायात व्यवस्था सुधार के नाम पर जहंा पुलिस प्रशासन द्वारा अनेक दावे व प्रयोग किये जा रहे है। वहीं सड़कों पर चलने वाले ट्टजुगाड़ वाहन’ जिनके कारण अक्सर यातायात अव्यवस्थित रहता है उन्हे सड़कों से कौन हटायेगा? जबकि कहा यह भी जा रहा है कि यातायात व्यवस्था सुचारू बनाये रखने के लिए 15 वर्ष पुराने वाहनों को सड़कों से हटा दिया जायेगा।
राजधानी देहरादून में यातायात व्यवस्था सुधार के नाम पर पुलिस प्रशासन द्वारा अब तक कई प्रयोग किये जा चुके है। लेकिन सड़कों पर बिना दस्तावेज के दौड़ रहे जुगाड़ वाहनों पर पुलिस व सम्बन्धित विभाग आंखे मूंदे बैठा है। जबकि इन जुगाड़ वाहनों में लम्बे लम्बे पाइप, सरिया, लोहे के स्ट्रक्चर आदि सामान लदा होता है। जो कि भीड़ भाड़ वाली जगहों पर यातायात व्यवस्था को अनियंत्रित करने के लिए काफी है। ऐसे में सोचनीय सवाल यह है कि जब राजधानी दून जैसे शहर जहंा प्रशासनिक अमला मौजूद रहता है वहां यह वाहन धड़ल्ले से चल रहे है और यातायात बाधित कर रहे है तो अन्य शहरों के हालात क्या होगें?
बता दें कि दून की यातायात व्यस्वस्था में सुधारीकरण के लिए पुलिस विभाग द्वारा किये गये तमाम दावों के बीच जुगाड़ वाहन बेखौफ और पूरी रफ्तार से दौड़ रहे है इन वाहनों का न कोई रजिस्ट्रेशन, न कोई ड्राईविंग लाईसेंस, न ही फिटनेस श्रेणी का इंजन और न ही किसी अधिकृत कम्पनी से कोई मान्यता है। इस सबके बावजूद स्कूटर, बाइक, मोपेड सहित अन्य वाहनों के अनफिट घोषित हो चुके इंजनों को फिट कर न यह वाहन दौड़ाये जा रहे है बल्कि वह सामान का ट्रांसपोर्टेशन भी कर रहे है। क्या इन जुगाड़ वाहनों से शहर का यातायात बाधित नहीं हो रहा है? यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए पुलिस प्रशासन को सबसे पहले इन वाहनों पर ही अकुंश लगाना होगा ताकि आम जन को यातायात व्यवस्था सुचारू मिल सके।

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