देहरादून। कई कथित पत्रकार प्रेसवार्ता में जोकरों वाले सवाल पूछ जहां स्वंय तो हंसी के पात्र बनते ही हैं वहीं अन्य पत्रकारों को भी शर्मिदगी महसूस होती है। राजधानी बनने के बाद जहां एक ओर समाचार पत्रों की संख्या में वृद्धि हुई तो दूसरी तरफ पत्रकारों की भीड काफी तेजी से बढने लगी। यहां यह भी है कि कौन किस समाचार पत्र से या चैनल से है इसका भी पता नहीं चलता है। इसी तरह के पत्रकारों की वजह से दूसरों को कई बार शर्मिदा होना पडता है। कुछ कथित पत्रकार तो मात्र पे्रसवार्तााओं में बेसिर पैर के सवाल पूछने के लिए ही आते हैं। आज भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला जब एडीजी व डीआईजी कानून व्यवस्था के द्वारा अंकिता भण्डारी हत्याकाण्ड से सम्बन्धित प्रेसवार्ता कर रहे थे तभी कुछ तथाकथित पत्रकारों ने जोकरों वाले सवाल पूछने शुरू कर दिये जिससे वह तो हंसी के पात्र बने ही तो दूसरी तरफ समाचार पत्रों व टीवी चैनलों के पत्रकारों को भी शर्मिदगी का सामना करना पडा था। प्रेसवार्ता के बाद सवाल पूछने वाले तथाकथित पत्रकारों के बारे में सभी एक दूसरे से पूछने लगे कि वह किस चैनल व समाचार पत्र का प्रतिन्धित्व कर रहे थे तो किसी को नहीं पता था कि सवाल पूछने वाले वह कथित पत्रकार किस चैनल, न्यूज एजेंसी व समाचार पत्र से है। लेकिन उक्त लोग गाहे बगाहे प्रेसवार्ताओं में आकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर यह दिखाना चाहते हैं कि वह भी कुछ है। इन्हीं पत्रकारों की वजह से ही पूरी कौम बदनाम हो रही है।