भले ही अदालत के आदेश पर कोरोना के कारण लंबे समय से बंद पड़ी चारधाम यात्रा शुरू कर दी गई हो लेकिन सरकारी स्तर पर यात्रा की तैयारियां सुचारू न होने के कारण यह चारधाम यात्रा महज औपचारिकता ही बनकर रह गई है। हाई कोर्ट द्वारा सभी धामों की यात्राओं के लिए हालांकि सुरक्षा कारणों से यात्रियों की संख्या को सीमित रखा गया है और इसके लिए भी ई—पास और कोरोना जांच रिपोर्ट की अनिवार्यता जैसे सख्त नियमों का अनुपालन करने के आदेश दिए गए हैं लेकिन देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट पर ई—पास के पंजीकरण नहीं हो पा रहे हैं वेबसाइट पर स्लाट फुल बताया जा रहा है। एक अन्य समस्या यह भी है कि बड़ी संख्या में यात्री बिना पास के ही यात्रा पर आ रहे हैं जिन्हें प्रशासन द्वारा वापस लौटाया जा रहा है। वही बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब आने में अधिकांश ई—पास बनवाने के बाद भी यात्रा पर नहीं पहुंच रहे हैं। चारधाम यात्रा के लिए पोर्टल से ई—पास जारी नहीं हो रहे हैं जिससे यात्री होटलों की बुकिंग कैंसिल करा रहे हैं। हरिद्वार ऋषिकेश बस कंपाउंड में अभी भी जन सुविधाओं का इंतजाम नहीं हो सका है। जिससे यात्री परेशान हैं और वापस लौट रहे हैं। ट्रैवल एजेंट इन परेशान यात्रियों से मुंह मांगी रकम वसूल रहे हैं यह सिर्फ एक तरह की दिक्कतें हैं। बाकी चारधाम यात्रा की दिक्कतें भी कम नहीं है। राज्य में बीते दो माह से मानसूनी बारिश कहर बरपा रही है जिसके कारण सभी चारों धामों के यात्रा मार्गों पर भारी भूस्खलन हो रहा है। चारों धामों के सभी प्रमुख यात्रा मार्ग कई—कई स्थानों पर भूस्खलन के कारण बंद पड़े हैं कहीं—कहीं अतिवृष्टि के कारण सड़कों का बड़ा हिस्सा बह चुका है। जिससे इन यात्रा मार्गाे पर चलना जान जोखिम में डालना है। जगह—जगह मार्गों के बाधित होने से सड़कों और यात्रियों के फंसने की खबरे आम है। खास बात यह है कि लगातार बारिश के कारण इन सड़कों को ठीक करना भी संभव नहीं हो पा रहा है। भले ही सरकार ने तीर्थ पुरोहितों की मांग व विपक्ष के दबाव के बीच यात्रा को शुरू कर दिया हो तथा कोर्ट ने भी इसकी अनुमति दे दी हो। लेकिन जैसे हालात है उसके मद्देनजर यात्रा को सुरक्षित नहीं माना जा सकता है। इसका अंदाजा पीएमओ कार्यालय से केदार—बद्रीनाथ निर्माण कार्याे का जायजा लेने आई टीम को हो रही दिक्कतों से भी लगाया जा सकता है। जो बद्रीनाथ में खराब मौसम के कारण फंसे हुए हैं। ऐसे में आम यात्रियों को होने वाली दिक्कतों का सहज अनुमान लगाया जा सकता है। अब देखना यह है कि इस यात्रा का कितना लाभ हो पाता है और कितने लोग इस साल यात्रा कर पाते हैं। लेकिन ऐसे हालात में यात्रा शुरू होने से सरकारी तैयारियों का सच तो सामने आ ही गया है।