कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ और नामवर नेता हरीश रावत का कहना है कि 21 सालों की सूबाई राजनीति में उन्हें सबसे अधिक हैरान करने वाली अगर कोई बात है तो यह है कि लोग उनसे नाराज क्यों हैं? वह कहते हैं कि अपने ही नहीं इससे इतर भी लोग उनसे नाराज क्यों हैं यह बात उन्हें आज तक समझ नहीं आ सकी है जबकि उनके अनुसार उन्होंने किसी का भी न तो कुछ बुरा किया है और न बुरा सोचा है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का नाम भले ही कितना भी बड़ा क्यों न हो लेकिन उनके नाम से भी बड़ा उनका विरोध हो गया है। राजनीति से जुड़ी कोई बात और फैसला क्यों न हो लेकिन उनकी हर बात का विरोध स्वाभाविक हो गया है। सवाल यह है कि उनकी इस अस्वीकार्यता के पीछे कारण क्या है? हरीश रावत जो अब अपनी लंबी राजनीति पाली के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुके हैं और उन्हें कांग्रेस ने चुनाव अभियान के मुखिया की जिम्मेवारी सौंपी जा चुकी है इसलिए उनका यह सवाल अत्यंत ही महत्वपूर्ण हो जाता है। अगर अपनी ही पार्टी के लोग उनका इस तरह विरोध करते रहेंगे तो क्या वह 2022 का चुनाव कांग्रेस को जिता सकेंगे? शायद नहीं। भले ही हरीश रावत अपने खिलाफ इस नाराजगी का कारण न जानते हो या जानकर भी अनजान बनने की कोशिश कर रहे हो लेकिन पार्टी की राजनीति इस तरह नहीं चल सकती है कि न खाता न बही जो हरीश रावत कहे वही सही। वरिष्ठता का मतलब जिद्दी होना नहीं होता है सिर्फ अपनी बात मनवाना और दूसरों की बात न सुनना या उससे अनसुना कर देना वो वरिष्ठता नहीं है। आम राय और आम सहमति के राजनीतिक महत्व को अगर उन्होंने समझा होता तो शायद उन्हें जिंदगी में 2017 जैसी शर्मनाक हार का सामना नहीं करना पड़ा होता। भले ही अभी भी वह कह तो यही रहे हैं कि यह मेरा अंतिम चुनाव है और कांग्रेस की जीत के लिए यह चुनाव लड़ या लड़ा रहे हैं मुख्यमंत्री बनने के लिए नहीं लेकिन यह पूरा सच नहीं है इसलिए खुद अपनी पार्टी के लोग उन पर भरोसा नहीं कर रहे हैं। जो वह कह रहे हैं अगर वह पूरा सच है तो वह सभी अपनों को साथ बैठा कर अपनी स्थिति को साफ करें अगर वह अपनों का भरोसा जीत पाते हैं तो उन्हें और उनकी पार्टी कांग्रेस को कोई नहीं हरा सकता है। उनके चेहरे पर चुनाव लड़ा जाए वही मुख्यमंत्री का चेहरा हो इसे लेकर 6 माह से जद्दोजहद में जुटे हरीश रावत को यह भी सोचना चाहिए कि उनकी जिद ने आज उन्हें और कांग्रेस को कहां लाकर खड़ा कर दिया है। 2022 का जो चुनाव कांग्रेस व खुद उनके लिए करो और मरो की स्थिति वाला है ऐसी स्थिति में उन्हें हैरान परेशान होने की बजाय सरल और सजग होने की जरूरत है क्योंकि जिद से आगे जीत है।