एग्जिट पोलः भाजपा के अमृत काल की भविष्यवाणी

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सवाल—कांग्रेस का अब क्या होगा

दिल्ली क्यों नहीं चल पाता है मोदी का जादू
क्या आप ने बिगाड़ा गुजरात में कांग्रेस का गणित

नई दिल्ली। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के नतीजे क्या होंगे या दिल्ली के एमसीडी चुनाव में कौन बाजी मारेगा, भले ही मतगणना के बाद ही पता चलेगा लेकिन तमाम टीवी चैनल और न्यूज एजेंसियों के एग्जिक्ट पोल के अनुमानों से एक बात जरूर साफ हो गई है कि कांग्रेस का संक्रमण काल अभी समाप्त होता नहीं दिख रहा है।
देश भले ही अपनी आजादी के अमृत काल से गुजर रहा हो लेकिन यह अमृत काल वास्तव में भाजपा का अमृत काल है। मीडिया जो देश की राजनीति के भविष्यवक्ता और प्रवक्ता की भूमिका निभा रहा है, मीडिया की भविष्यवाणी को अगर सच मान लिया जाए तो गुजरात में भाजपा जो एक बार फिर 27 साल की सत्ता विरोधी इन्केम्बसी को ठोकर मार कर जबरदस्त तरीके से सत्ता पर अपना कब्जा बरकरार रखने जा रही है जो एक नया इतिहास ही होगा। मीडिया इसे प्रधानमंत्री मोदी का जादू बता रहा है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं कि जो यह सवाल भी उठा रहे हैं कि अगर मोदी के पास जादू है तो फिर उनका यह जादू पंजाब में क्यों नहीं चला और दिल्ली के एमसीडी चुनाव में क्यों नहीं चलता दिख रहा है। जहां तमाम भविष्य वक्ताओं द्वारा आम आदमी पार्टी की प्रचंड जीत के दावे किए जा रहे हैं। खास बात यह है कि दिल्ली के एमसीडी चुनाव में भाजपा ने अपनी जिस ताकत को चुनाव प्रचार में झोंका था उसे देखकर सभी हैरान थे। तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों से लेकर केंद्रीय मंत्रियों और राष्ट्रीय प्रवक्ताओं ने किसी भी तरह की कोर कसर नहीं छोड़ी। केजरीवाल और उनकी टीम को महाभ्रष्ट साबित करने के लिए एक दर्जन भर स्टिंग और ऑडियो वीडियो इस्तेमाल किए गए लेकिन एग्जिट पोल की भविष्यवाणी बता रही है कि जनता ने उन्हें कतई भाव नहीं दिया।
रही बात हिमाचल प्रदेश की तो यहां भी भाजपा उत्तराखंड की तरह हर 5 साल बाद सरकार बदलने के रिवाज को तोड़ने में सफल हो रही है। मीडिया एग्जिट पोल तो यही बता रहे हैं यह अलग बात है कि कोई चमत्कार हो और वह कांग्रेस को हिमाचल की सत्ता सौंपकर उनकी प्रतिष्ठा को बचा ले जाए। लेकिन ऐसे चमत्कार कभी—कभी ही होते हैं क्या होने वाला है इसके लिए अब बस थोड़ा सा इंतजार करिए। कहा तो यह भी जा रहा है कि आप ने गुजरात में वोटों का बंटवारा कर कांग्रेस का गणित बिगाड़ दिया है। लेकिन आप अगर 15—20 फीसदी वोट प्रतिशत के साथ हार भी जाती है तो यह हार भी उसकी बड़ी जीत होगी।

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