इसमें कोई दो राय नहीं है कि अपने तीन साल के शासनकाल में सूबे के मुखिया ने सर्वसम्मत भाव से काम करते हुए कई ऐसे अहम फैसले लिए हैं जिसके कारण पुष्कर सिंह धामी की लोकप्रियता तो बढ़ी ही है इसके साथ—साथ केंद्रीय नेतृत्व की नजर में भी उनके 10 में से 9 नंबर हैं। अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब मुखवा और हर्षिल के दौरे पर आये थे तो मोदी ने उन्हें अपने संबोधन में अपना छोटा भाई कहते हुए सार्वजनिक मंच पर उनकी पीठ थपथपाई थी। पूर्ववर्ती सरकार में तीरथ सिंह रावत की जगह जब उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया गया था तो केंद्रीय नेतृत्व के इस फैसले ने सूबे के भाजपा नेताओं को भी चौंका दिया था। 2022 के चुनाव में पार्टी की जीत के बीच जब पुष्कर सिंह धामी खुद चुनाव हार गए थे तब उन्होंने भी मुख्यमंत्री के रूप में अपनी सियासी पाली को समाप्त मान लिया था लेकिन हाईकमान ने एक बार फिर उन्हीं पर भरोसा जताकर उनके आत्मविश्वास को जो बल प्रधान किया उसके बाद धामी ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और वह धीरे—धीरे प्रखर वक्ता बनने के साथ—साथ पार्टी के शीर्ष नेताओं का विश्वास जीतने में कामयाब होते चले गए। धामी अपनी इस दूसरी पाली के 3 साल पूरे कर चुके हैं भले ही उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदी नेताओं द्वारा लंबे समय से उन्हें हासिये से बाहर धकेलने के प्रयास किया जा रहे हो लेकिन धामी सरकार ने इन तीन सालों में आधा दर्जन के करीब बड़े फैसले लेकर यह साबित कर दिया है कि उनका काकम करने का अंदाज दूसरे नेताओं से अलग है। वहीं उनके पास सभी को साथ लेकर चलने की क्षमता भी है। अभी जब प्रेमचंद अग्रवाल प्रकरण में उन्होंने हर संभव प्रयास किया कि बात किसी तरह आई गई हो जाए लेकिन बात नहीं बनी तो उन्होंने प्रेमचंद से इस्तीफा भी मांग लिया। इस मुद्दे पर उनके विरोधियों ने स्पीकर ऋतु खंडूरी और महेंद्र भटृ की तरह उनका नाम भी घसीटने के प्रयास किए गए लेकिन वह कुछ कर पाने में सफल नहीं हो सके। राज्य में यूसीसी लागू करने के जरिए केंद्रीय नीतियों को आगे बढ़ाने में योगदान करने से लेकर राज्य में हिंदुत्व के एजेंडें को बखूबी आगे बढ़ाने का काम करने वाले सीएम धामी ने अनेक ऐसे काम किए हैं जो उनकी सफलता की सूची में दर्ज हो चुके हैं। जिसमें दंगा नियंत्रण कानून से लेकर पेपर लीक को रोकने के लिए बनाया गया नकल रोधी कानून और जमीनों की खरीद—फरोख्त पर लगाम लगाने के लिए बनाया गया भू कानून इसका उदाहरण है। उनके द्वारा राज्य में धर्मांतरण रोकने और कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने तथा आपदा प्रबंधन को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में निरंतर काम किये जा रहे है मुख्यमंत्री धामी की खास बात यह है कि हर छोटे बड़े चुनाव में पीएम मोदी की तरह आगे बढ़कर खुद चुनाव अभियान की कमान संभालते हैं। यही कारण है कि वह तमाम चुनौतियों के बीच भी एनडी तिवारी के बाद दूसरे ऐसे मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं जो लंबे समय तक सीएम की कुर्सी पर बने हुए हैं। 3 साल के जश्न में उन्होंने यह रूपरेखा भी तैयार कर ली है कि आने वाले 2 सालों में उन्हें क्या करना है। उनके प्रशंसकों द्वारा उन्हें अब धाकड़ धामी कहा जाने लगा है तो वह बेवजह नहीं है।