माता देवो भव, पिता देवो भव, गुरू देवो भव। यही तो है हम भारतवासियों की वह देव संस्कृति, जिसने दुनिया के सामने आर्दश परिवार तथा समाज और राष्ट्र के निर्माण की भावनाओं को पोषित किया है। इन दिनों प्रयागराज में भारतीय संस्कृति के समागम का प्रतीक महाकुंभ एक ओर जहंा हमारी सनातनी संस्कृति और अध्यात्म की छटा बिखेर रहा है वहीं इस महाआयोजन से कुछ ऐसी प्रेरक तस्वीरें भी सामने आ रही है जो अत्यंत ही प्रेरणादायी है। ऐसी एक तस्वीर कल से टीवी चैनलों तथा अखबारों में देखने को मिली जो इस काल में देश के युवाओं और नई पीढ़ी को एक सकारात्मक संंदेश दे रही है। इस तस्वीर में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी पत्नी अपनी मां को गंगा स्नान करा रहे है। आज के वर्तमान दौर में जब युवा पीढ़ी ने माता—पिता को परिवार के दायरे से ही बाहर धकेल दिया तथा परिवार की उनकी परिभाषा में मै, मेरी पत्नी और मेरे बच्चे रह गये है। परिवार जैसी महत्वपूर्ण सामाजिक ईकाइ जब विघटन के उस दौर से गुजर रही है जहंा बच्चे, बूढ़े मंा—बाप को वृद्वा आश्रम में छोड़ने में कोई संकोच और आत्मग्लानि का अनुभव नहीं कर रहे है ऐसे बच्चों और युवाओं को इस तस्वी को जरूर देखना चाहिए और इस बात पर चिंतन भी करना चाहिए कि आज अगर पुष्कर सिंह धामी प्रदेश के मुख्यमंत्री पद तक पहुंच सके है तो इसके पीछे क्या कारण निहित है। समाज शास्त्रियों का मानना है कि बच्चे की पहली पाठशाला वह परिवार होता है जिसमें वह जन्म लेता है तथा उसकी पहली गुरू उसकी मां होती है। परिवार और माता पिता की महत्ता को समझे बिना कोई भी व्यक्ति कभी महान नहीं बन सकता है। धर्म ग्रन्थो से लेकर इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण मौजूद है जो हमे परिवार और माता पिता की महत्ता को बताते है। आपने अब्राहिम लिंकन का नाम जरूर सुना होगा। अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन ने अपनी आत्मकथा में भी इस बात का जिक्र किया है कि वह जो कुछ भी है या जो कुछ भी बनने की इच्छा रखते है वह सब कुछ मेरी मां की देन है। समय के साथ समाज और मानवीय व्यवहार में भी परिवर्तन आना लाजमी होता है। आज समाज में माता पिता और गुरूओ का असम्मान अगर हो रहा है तो इसके लिए बच्चे और हमारी युवा पीढ़ी ही जिम्मेवार नहीं है। माता—पिता और गुरूओं को भी इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। कपकोट के दो स्कूलों में शिक्षकों का शराब पीकर स्कूल आने का एक वीडियों अभी वायरल होने पर उन्हे निलम्बित कर दिया गया। आये दिन स्कूलों द्वारा शिक्षकों कालेजों में अपनी छात्राओं के साथ छेड़छाड़ या शारीरिक शोषण के समाचार हमे पढ़ने का मिल जाते है। पिताओं द्वारा अपने बच्चों के शोषण की खबरें भी आये दिन आती रहती है निश्चित तौर पर माता—पिता या फिर गुरू कोई भी हो वह अगर अपने पितृ और गुरून्तर का उत्तरदायित्व का निर्वहन नहीं कर रहा है या इसके विपरीत उसका आचरण होता है तो वह किसी भी सम्मान का अधिकारी नहीं हो सकता है। आज जब हमारा सम्पूर्ण समाज अनेकानेक विकृतियों का शिकार हो चुका है और समाज में सुधार के लिए बड़े परिवर्तन की जरूरत महसूस की जा रही है तब अगर कुम्भ से आयी सीएम धामी की यह तस्वीर एक आशा का संचार करती है साथ ही वह एक प्रेरणा का प्रतीक भी है।