राजनीति का इससे भी घटिया स्तर और क्या हो सकता है? जहां महिलाओं पर विवादित और अमर्यादित बयानों को चुनावी मुद्दे बनाकर उछालने को ही नेताओं की योग्यता का मापदंड मान लिया जाए। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रमेश बिधूड़ी द्वारा कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी और दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी के बारे में की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों को लेकर भारी हंगामा मचा हुआ है। भले ही इसके बाद विधूड़ी ने एक पोस्ट के जरिए इस पर खेद जताया गया हो लेकिन प्रियंका के गालों और आतिशी के बाप तक की इस टिप्पणी को लेकर न सिर्फ दिल्ली बल्कि देशभर की महिलाओं में भारी आक्रोश है सच यह है कि विधूड़ी जैसे नेताओं की अपनी कोई राजनीतिक बिसात नहीं है। भाजपा ने जो उन्हें विधायी का टिकट दिया अगर उसे वापस नहीं लिया तो भाजपा को इसका बड़ा नुकसान हो सकता है। पीएम मोदी इसे लेकर खुद भी माफी मांगने की पहल कर सकते हैं विपक्ष का कहना है कि भाजपा का असली चाल चरित्र यही है पहले अपने नेताओं से गालियां दिलवाओ और अपमानित करवाओ और फिर माफी मांग कर या दंडित कर यह संदेश दो कि हम इस तरह की हरकतें करने वालों को कतई भी बर्दाश्त नहीं करते हैं। भाजपा के नेताओं के मन में महिलाओं के लिए कितना सम्मान है इसका सच किसी से भी छिपा नहीं। पीएम मोदी जैसे नेता जब सोनिया गांधी को कांग्रेस की विधवा कहकर अपमानित कर सकते हैं तो विधूड़ी और अन्य नेताओं की तो बात ही क्या की जा सकती है। अभी हमने देश में महिला पहलवानों के खिलाफ तमाम तरह की भद्दी टीका—टिप्पणी सुनी थी। नारी वंदन और नारी अभिनंदन की बात करने वाले यह नेता महिलाओं के बारे में जिस तरह की सोच रखते हैं वह किसी जनप्रतिनिधी तो क्या आम आदमी के लिहाज से भी शर्मसार करने वाली है। भले ही देश की महिलाओं को अपने बराबरी के संवैधानिक अधिकारों को पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा हो लेकिन इस आधी आबादी ने बहुत कुछ हासिल कर लिया है और जो कुछ हासिल करना शेष बचा है उसे हासिल करने में उन्हें ज्यादा समय नहीं लगने वाला है। देश के नेताओं को अब इस सत्य को स्वीकार कर लेना चाहिए कि वह देश की आधी आबादी को गर्वन नहीं कर सकते हैं। किसी भी राज्य में और किसी भी चुनाव में यह आधी आबादी चुनाव का रुख बदलने की क्षमता रखती है। दिल्ली के चुनाव में अगर महिलाएं भाजपा के खिलाफ खड़ी हो गई तो उसका सुपड़ा साफ कर देगी। खास बात यह है कि महिलाएं इस तरह के अपमान को राजनीति से ऊपर उठकर देखने समझने में सक्षम है। भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने विधूड़ी के बयान से नाराज होकर भाजपा छोड़ने की अगर बात की है तो उस समझ की परिपक्वता का ही प्रमाण है। इस मुद्दे का सबसे अहम पहलू यह है कि महिलाओं को लेकर भद्दी टीका—टिप्पणी करने वाले माननीय नेताओं द्वारा यह अपने चाल चरित्र की कौन सी तस्वीर पेश की जा रही है क्या उनकी कोई ऐसी सोच उन्हें नेता और माननीय कहे जाने लायक भी छोड़ेगी, इस चुनाव में भाजपा का क्या होगा अलग बात है भाजपा जो अपने आपको अनुशासित पार्टी होने का डंका पीटती है उसे विधूड़ी को तत्काल प्रभाव से पार्टी से बाहर निकाल कर एक उदाहरण पेश करना चाहिए। विधूड़ी का बयान अक्षम्य है भले ही भाजपा उन्हें क्षमा कर दे लेकिन महिला मतदाताओं को उन्हें इसका करारा जवाब देना चाहिए जिससे भविष्य में कोई नेता ऐसा करने का साहस न कर सके।





