देश की संसद में संविधान पर चर्चा हो रही है। एक राष्ट्रीय अखबार इसे पहले पेज पर पहली खबर बनाता है। क्योंकि यह खबर इतनी अधिक महत्वपूर्ण थी शायद यही मजबूरी रही होगी लेकिन खबर का शीर्षक था रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का वह बयान जिसमें उन्होंने कहा था कि वह संविधान जेब में रखकर घूमते हैं और हम संविधान को सर माथे पर रखते हैं। इसी चर्चा में पहली बार सांसद बनकर अभी—अभी सदन में पहुंची प्रियंका गांधी ने अपने पहले संबोधन में संविधान को कैसे परिभाषित किया और अपने अलग अंदाज में बोलते हुए केंद्र की सरकार पर संविधान प्रदत अधिकारों का उल्लेख करते हुए देश की न्याय एवं सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था को तहस—नहस करने के अनेक उदाहरणों के साथ यह कहा कि यहां तक कि देश का मीडिया भी सच कहने का साहस खो चुका है क्योंकि वह शायद सत्ता से डरा हुआ है। प्रियंका के भाषण में वह मीडिया भी कोई एक तर्कसंगत सच नहीं ढूंढ सका। भले ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में एक नहीं अनेक झूठे तथ्य सदन में पेश किए हो जिन्हें लेकर सोशल मीडिया में खूब चर्चा हो रही हो लेकिन किसी भी अखबार या टीवी चैनल पर इसके बारे में कोई चर्चा नहीं हो रही है। 2014 में जब भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ चुनाव जीतकर केंद्रीय सत्ता पर काबिज हुई थी तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद की सीढ़ियां चढ़ने से पहले संसद भवन को दंडवत लेट कर प्रणाम किया था। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उन्होंने सदन में खड़े होकर जब कहा था कि न खाऊंगा और न खाने दूंगा न सोऊंगा और न सोने दूंगा तब देश की जनता ने उनके इस अंदाज को देखकर सोचा कि सही मायने में देश को अब एक जननायक मिला था जिसकी तलाश थी। 2019 के चुनाव तक जनता ने उन पर उनकी हर बात पर आंख मूंद कर भरोसा किया जिसका उदाहरण है भाजपा के 300 पार। लेकिन 2024 के चुनाव में जब जनता ने थोड़ा यह जान समझ लिया उनकी असली मंशा क्या है तो उनके अबकी बार 400 पार के नारे तथा विपक्ष विहीन संसद की मंशा के गुब्बारे की हवा ही निकाल दी। क्योंकि बात संविधान बदलने तक जा पहुंची थी? सही मायने में हमारा संविधान ही है जो देश के नागरिकों को न्याय की समानता का और शिक्षा का अभिव्यक्ति का अधिकार देता है। संविधान इस देश के आम नागरिकों के लिए ऑक्सीजन से कम महत्व पूर्ण नहीं है। सत्ता में बैठकर कोई शख्स या राजनीतिक दल अगर संविधान के इस ऑक्सीजन को छीनने की कोशिश भी करेगा तो जनता करता, क्या न करता की स्थिति में कुछ भी कर गुजरने पर अमादा हो ही जाएगी। प्रियंका गांधी का कहना है कि हमारे राजा को शायद यह समझने में भूल हो गई और वह संघ को संविधान समझ बैठे। उन्होंने वर्तमान सत्ता को खुली चुनौती देते हुए कहा कि आप न तो संविधान बदल सकते हैं और न भय और नफरत फैला कर सत्ता में बने रह सकते हैं और अगर आपको इस पर भरोसा नहीं है तो करा लो वैलिड पेपर पर चुनाव हो जाएगा दूध का दूध और पानी का पानी। उन्होंने सत्ता को साफ—साफ कहा कि आप 2025 में 1975 में क्या किसने किया है अपने झूठ फरेब की राजनीति को जिंदा रखे हुए हैं आप आज की बात क्यों नहीं करते। हिम्मत है तो सामने बैठिए और उन मुद्दों पर चर्चा कीजिए जो वर्तमान में जनता के मुद्दे हैं आप यह बताइए कि आपने 10—11 साल में देश के लिए क्या किया है।





