देश के नेता और आम आदमी खास तौर पर पढ़े—लिखे और बुद्धिजीवी माने जाने वाले नागरिक भले ही अपने लोकतंत्र को दुनिया का सबसे बड़ा और पुराना होने का दम्भ भरते हो लेकिन वर्तमान समय में देश के लोकतंत्र की जमीनी सच्चाई क्या है? इसे समझने और जानने के लिए चुनावी प्रक्रिया और इसकी वास्तविकता को समझना जरूरी है। अगर किसी भी चुनाव में निष्पक्षता के लिए कोई भी जगह न बचे तो फिर आप उस देश में लोकतंत्र को नहीं बचा सकते। बीते कल महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनावों के साथ यूपी, पंजाब और उत्तराखंड सहित कुछ सीटों के लिए जो उपचुनाव हुए उसमें क्या—क्या हुआ अगर इसकी सच्चाई पर गौर करें तो आपको लगेगा कि देश में लोकतंत्र खत्म हो चुका है और लोकतंत्र के नाम पर जो कुछ हो रहा है वह मात्र लोकतंत्र का तमाशा बनाया जाना है। मतदान की पूर्व संध्या पर महाराष्ट्र में एक भाजपा नेता द्वारा रुपए बांटने का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसे लेकर उनके तथा भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई। उधर यूपी में तो पुलिस कर्मियों द्वारा मतदाताओं पर पिस्तौल तानने और उन्हें डराने—धमकाने से लेकर बैरिकेड लगाकर उन्हें वोट डालने से रोकने और उनकी आईडी चेक करने जैसी कई वीडियो वायरल हुई। पुख्ता सबूतों के साथ जब सपा नेता अखिलेश यादव द्वारा इन वीडियो को चुनाव आयोग को भेजा गया और सुप्रीम कोर्ट से इसे रोकने तथा नागरिकों के मताधिकार के संवैधानिक अधिकार की रक्षा करने की गुहार लगाई गई तो कानपुर के दो तथा मुजफ्फरनगर के दो सब इंस्पेक्टर व मुरादाबाद के एक इंस्पेक्टर तथा दो पुलिसकर्मियों सहित कुल 9 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया गया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जिस चुनाव आयोग व पुलिस प्रशासन तथा सत्ता में बैठे लोगों पर निष्पक्ष चुनाव तथा अधिक से अधिक मतदान कराने की जिम्मेवारी है वही मतदाताओं को वोट डालने से रोक रहे हैं। यूपी की 9 सीटों पर सिर्फ 49 फीसदी मतदान होना इसका प्रमाण है कि मतदाताओं को वोट डालने से रोका गया। महाराष्ट्र में 65 झारखंड में 68 और उत्तराखंड की एक सीट पर 58 फीसदी मतदान होता है तथा यूपी में कम मतदान की वजह समझी जा सकती है। सेवा निवृत जस्टिस मार्कंडेय काटजू के एक साक्षात्कार में वह कहते हैं कि इस देश के 90 फीसदी मतदाता मूर्ख है अगर ऐसा नहीं होता तो वह दोबारा एनडीए की सरकार बनाने का मौका नहीं देते। हिंदुत्व व हिंदू राष्ट्र के एजेंडे पर सवार इस सरकार ने देश की सामाजिक समरसता को समाप्त कर दिया है तथा शीघ्र ही देशवासियों को गृह युद्ध जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। उनका कहना है कि मीडिया व न्यायपालिका के साथ सभी संवैधानिक संस्थाओं को निष्क्रिय बना दिया गया है जो सबसे अधिक चिंतनीय है। उत्तर प्रदेश में इस उपचुनाव में जो तस्वीरें सामने आई है वह वास्तव में अत्यंत ही चिंताजनक है। क्या देश में अब लोकतंत्र पिस्तौल की नोक पर चलाया जाएगा? वायरल वीडियो में जो महिलाएं पुलिस की पिस्टल के खौफ से बेखबर होकर अपने वोट का अधिकार लेने की बहस करती दिख रही है वह इस बात का संदेश देता है कि अगर ऐसा होगा तो मतदाता इसके सामने सीना तानकर खड़े होंगे। चंडीगढ़ मेयर चुनाव को असंवैधानिक घोषित करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी इन चुनावी धांधली करने वालों ने कोई सबक नहीं लिया। हरियाणा के बाद महाराष्ट्र, झारखंड के नतीजे इस बात को तय करने वाले हैं कि देश में लोकतंत्र बचेगा या नहीं और राजनीति की दिशा—दशा तथा भविष्य का क्या रहने वाला है।




