उत्तराखंड ने आज अपनी उम्र के 24 साल का सफर पूरा कर लिया है। सरकार और राज्य के लोग आज इस स्थापना दिवस के रजत जयंती समारोह में व्यस्त हैं। इन बीते 24 सालों में क्या—क्या उपलब्धियंा हासिल की है हर साल की तरह इस बार भी राज्य के सूचना विभाग द्वारा प्रकाशित विकास पुस्तिकाओं में इसका उल्लेख विस्तार से किया गया है। उत्तराखंड विकास की सड़क पर इस तरह से सरपट दौड़ रहा है कि वह देश का सबसे विकसित राज्य बनने वाला है। राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास तथा प्रति व्यक्ति आय, महिला सशक्तिकरण, पर्यटन, स्वास्थ्य जैसे अनेक क्षेत्रों में आशातीत विकास किए गए हैं। अब उत्तराखंड भी डिजिटल राज्यों में शुमार है। सरकारी दफ्तरों को पेपर लैस बनाने से लेकर जनता के सभी काम अब घर बैठे ऑनलाइन किए जा रहे हैं। शासन में नेताओं की दृष्टिकोण में उन्होंने हर क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल की है। 24 साल का कालखंड किसी राज्य और व्यक्ति के जीवन में कम महत्व का नहीं माना जा सकता है। हर बार राज्य स्थापना दिवस पर एक सवाल चर्चाओं के केंद्र में रहता है क्या इतने सालों में राज्य के नेता और सरकारें राज्य को शहीद आंदोलनकारियों के सपनों का राज्य बना सके? अपना जल, अपना जंगल और अपनी जमीन का अधिकार 24 साल बाद भी राज्य के लोगों को मिल सका है? इन दिनों राज्य में एक सशक्त भू कानून की मांग को लेकर नया आंदोलन राज्य के लोगों द्वारा लड़ा जा रहा है। अगर राज्य के संसाधनों पर राज्य के लोगों को उनका अधिकार मिल सका होता तो आज उन्हें फिर से सड़कों पर उतरने की जरूरत नहीं पड़ी होती। राज्य भले ही अपना श्ौशव काल पूरा करके युवा हो गया हो लेकिन राज्य के युवाओं की स्थिति में इन 24 सालों में कितना फर्क आया है और राज्य से पलायन को कितना रोका जा सका है। राज्य में गांवों के वीरान होने का क्रम आज भी जारी है। कारण स्पष्ट है कि 24 साल बाद भी राज्य में युवाओं को रोजगार के जो समुचित अवसर मिलने चाहिए थे वह नहीं मिल सके हैं। युवा आज भी रोजगार के लिए इधर—उधर भटकने पर मजबूर हैं। उन्हें अगर कुछ अवसर मिले भी तो नकल माफियाओं ने उन्हें इससे वंचित कर दिया। मूल निवास की आड़ में नौकरियों में खेला हुआ तो नेताओं ने संविदा पर अपने ही परिजनों की भर्तियां कर दी गई। 24 साल में राज्य में चकबंदी तो हो नहीं सकी अब अवैध रूप से जमीन खरीदने पर कार्यवाही करने की बात हो रही है। पूर्व मेयर और भाजपा (धर्मपुर) के विधायक विनोद चमोली का कहना है कि बीते 24 सालों में प्रदेश के नेताओं ने सिर्फ अपनी जेबें भरने का काम किया है। राज्य और राज्य के आम आदमी के लिए किसी ने नहीं सोचा। अपने ही विधायक की यह कड़वी सच्चाई कितनी पच पाती है अलग बात है मगर है सच। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस प्रदेश की सत्ता पर तो कब्जा बनाए रखने में सफल रही लेकिन उनसे भ्रष्टाचार को रोक पाने के लिए आज तक लोकायुक्त नहीं लाया जा सका। 24 साल बाद भी ऊर्जा प्रदेश करोड़ों रुपए सालाना की बिजली खरीद कर अपना घर रोशन कर रहा है और अब लव जिहाद और लैंड जिहाद जैसे मुद्दों पर अपनी राजनीति को आगे बढ़ा रहा है तथा अपनी असफलताओं की खीज अधिकारियों पर उतार रहा है।