भूस्खलन की रोकथाम के उचित हो इंतजाम

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पर्वतीय क्षेत्रों के विकास के लिए सड़क निर्माण व सड़कों का विस्तारीकरण होना जरूरी है। लेकिन सड़क निर्माण व सड़कों के विस्तारीकरण के लिए डायनामाइट लगाकर विस्फोट किये जाते है। जिसका खामियाजा आम जनता को मानसूनी मौसम में भुगतना पड़ता है। पहाड़ों में किये जाने वाले इन विस्फोटों के कारण दूर—दूर तक पहाड़ियां कांप उठती है और इसके चलते उनमें दरारे आ जाती है। मानसूनी मौसम की बरसात में इन दरारों में तेजी से पानी भरता चला जाता है और उसके परिणाम के रूप में पहाड़ियों दरकने लगती है। जिस कारण भूस्खलन की समस्या और भी गम्भीर हो जाती है। उत्तराखण्ड जैसे पहाड़ी राज्य में सड़कों का निर्माण जरूरी है लेकिन इस बात पर विचार करना भी जरूरी है कि बिना विस्फोट किये किस तरह से भारी चट्टानों को तोड़कर सड़क निर्माण हो सके। मानसूनी सीजन के दौरान ही राज्य में चारधाम यात्रा अपने चरम पर होती है लेकिन दिनों जगह जगह भूस्खलन के कारण कुछ समय के लिए यात्रा को रोका जाता है जिससे श्रद्धालुओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
पहाड़ों में होने वाले भूस्खलन के लिए कुछ स्थान तो पहले से ही बहुत ज्यादा संवेदनशील होने की श्रेणी में आते है। यदि समय रहते इन स्थानों के लिए कोई कारगार नीति अपनाई जाये तो भूस्खलन की त्रीवता से बचा जा सकता है और यातायात भी सुरक्षित रह सकता है। मानसूनी सीजन शुरू होने से पहले आपदा प्रबन्धन विभाग द्वारा बहुत बड़े दावे किये गये थे लेकिन केदारनाथ रोड सहित राज्य के तमाम पहाड़ी क्षेत्रों के रास्तों में इन दिनों लगातार भूस्खलन हो रहा है। मानसूनी बारिश के कारण हुए भूस्खलन से इन दिनों राज्य की 165 सड़के बंद होने के समाचार है। हालांकि उनको खोलने का काम जारी है। लेकिन इस भूस्खलन के चलते राज्य की जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सरकार को चाहिए कि हर वर्ष होने वाली भूस्खलन जैसी गम्भीर समस्या का वह उचित उपाय करे ताकि जनता की परेशानियंा कम हो सके।

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