अतिवृष्टि से भारी नुकसान

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मानसून अपने अंतिम चरण में पहुंचने वाला है केंद्रीय मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार 25 सितंबर तक मानसून की वापसी शुरू हो जाएगी। खास बात यह है कि इस साल मानसूनी बारिश औसतन 8 फीसदी अधिक हुई है लेकिन अच्छी बारिश के बावजूद भी मानसूनी बारिश का फायदा कम और इससे नुकसान अधिक हुआ है। जिसका कारण ग्लोबल वार्मिंग के कारण बारिश की प्रकृति में आया बदलाव है। देश के कुछ हिस्सों में अतिवृष्टि और सामान्य से अधिक बारिश हुई है जबकि कुछ राज्यों में सामान्य से बहुत ही कम बारिश हुई है। बिहार जहां औसतन 1250 मिमी होती थी वहां इस साल महज 740 मिमी बारिश हुई है। जबकि उत्तराखंड, हिमाचल तथा दिल्ली में औसत से अधिक बारिश हुई है यूपी के कुछ हिस्सों एवं झारखंड व बिहार में 28—30 फीसदी कम बारिश होने के कारण फंसले प्रभावित हुई वहीं अतिवृष्टि के कारण उत्तराखंड जैसे राज्यों में भारी नुकसान हुआ। उत्तराखंड राज्य में मानसून आने के पहले दिन से लेकर आज तक हर रोज किसी न किसी क्षेत्र में मूसलाधार बारिश का क्रम जारी है। जिसके कारण राज्य की सड़कों और बागवानी तथा खेती के साथ आम जन—जीवन गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है। हजारों परिवारों को अतिवृष्टि के कारण भूस्खलन की जद में आने से अपने घर बार छोड़ने पड़े हैं। लगभग 10 हजार लोग इससे प्रभावित हुए हैं राज्य के कुछ हिस्सों में बादल फटने की घटनाओं में खेत खलिहानों से लेकर पुल तथा सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा है। उत्तराखंड की सड़कों पर इस मानसूनी आपदा की मार इतनी अधिक पड़ी है कि लोगों को आवागमन में सबसे ज्यादा मुश्किलें हो रही है। इस समय भी राज्य की डेढ़ सौ से अधिक सड़के बंद पड़ी है जिन पर आना—जाना संभव नहीं है लोगों तक जरूरी सामान की आपूर्ति भी नहीं हो पा रही है और अगर हो रही है तो वह भी जान हथेली पर रखकर। अगर कोई बीमार पड़ जाए तो उसे अस्पताल तक पहुंचाना भी मुश्किल हो जाए। पहाड़ का सफर तो इन दिनों इतना खतरनाक हो चुका है कि कब कहां पहाड़ टूटकर आपके ऊपर आ गिरे इसका कोई भरोसा नहीं है। राज्य की चार धाम यात्रा पर अतिवृष्टि और भूस्खलन से बंद हो रही सड़कों और दुर्घटनाओं के कारण लगभग ब्रेक ही लग चुका है। दो दिन पूर्व केदारनाथ पैदल मार्ग पर पांच यात्रियों की बोल्डर व मलबे में दबने से मौत हो गई बीते 31 अक्टूबर को अतिवृष्टि और भूस्खलन के कारण केदारनाथ हाईवे व पैदल मार्ग को इतना नुकसान हुआ था कि अभी तक उसकी मरम्मत का काम तक नहीं हो सका है। खास बात यह है कि इस आपदा का कहर अभी भी थमता नहीं दिख रहा है। राज्य में भारी बारिश के कारण कल भी स्कूल बंद थे और आज भी अवकाश है। इस मानसूनी दौर में राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में तो बच्चों की पढ़ाई लिखाई एकदम चौपट हो चुकी है क्योंकि बच्चों को स्कूल जाने आने के रास्ते भी बंद है। नदी और नालों में इस तरह उफान की स्थिति बनी हुई है कि जरा सी लापरवाही ही जानलेवा बन जाती है। अब भले ही मानसून की विदाई हो भी जाए तब भी इस साल मानसून के कारण जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई मुश्किल हो पाएगी तथा जनजीवन को सामान्य स्थिति में लाने में सालों का समय लग जाएगा।

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