सुनिश्चित पेंशन की गारंटी

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केंद्र की एनडीए सरकार ने कर्मचारियों की पेंशन को लेकर एक बड़ा फैसला किया है। विदेश यात्रा से लौटते ही पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में सरकारी कर्मचारियों को अब सुनिश्चित यानी की अनिवार्य पेंशन देने की गारंटी दी गई है। दरअसल 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद जो गारंटी शब्द प्रचलन में आया है उसके बिना इस्तेमाल के किसी भी दल के नेता और सरकार की बात में वजन पैदा होता ही नहीं है। चुनाव के दौरान भले ही मोदी की तमाम गारंटियंा बेअसर हो गई हो लेकिन यह गारंटी अब बेअसर नहीं हो सकती है, क्योंकि यह कैबिनेट की गारंटी है। 10 वर्ष की नौकरी पूरी करने पर अब किसी भी सरकारी कर्मचारियों को कम से कम 10 हजार पेंशन अवश्य मिलेगी। सरकार द्वारा अब जो नई पेंशन योजना लाई गई है उसके तहत 25 साल तक नौकरी करने वालों को अब इस योजना का पूरा लाभ मिलेगा। इसमें सरकार द्वारा व्यवस्था की गई है कि कर्मचारियों के मूल वेतन का 50 फीसदी उसे पेंशन के रूप में दिया जाएगा। और कर्मचारियों की मृत्यु की स्थिति में पति या पत्नी को 60 फीसदी पेंशन दी जाएगी। खास बात यह है कि इस पेंशन योजना का लाभ 2004 से दिया जाएगा जो भी कर्मचारी अब तक नई या पुरानी पेंशन योजना के तहत पेंशन ले रहे थे उन्हें एरियर का भुगतान मय ब्याज किया जाएगा। सरकार का मानना है कि इस योजना का लाभ 23 लाख कर्मचारियों को होगा और अगर इस राज्य सरकारों द्वारा भी लागू किया जाता है तो इसके लाभार्थियों की संख्या 90 लाख तक भी हो सकती है। केंद्र सरकार को इस योजना को लागू करने के लिए 800 करोड रुपए के अतिरिक्त व्यय भार को वहन करना होगा। सवाल यह है कि पुरानी पेंशन योजना जिसे ओपीएस कहा जाता था और जिसे खत्म किया जा चुका है तथा नई पेंशन योजना जिसे यूपीएस कहा जाता है को लेकर 2004 से लागू की गई थी, जो विवाद चल रहा था क्या अब सरकार द्वारा अब जो नईं यूपीएस जिसे सुनिश्चित पेंशन की गारंटी योजना का नाम दिया गया है, पेंशन को लेकर जो बीते समय में विवाद उठते रहे हैं वह सभी विवाद समाप्त हो जाएंगे। और अब सभी कर्मचारी इस नई पेंशन योजना गारंटी का स्वागत करेंगे। इसमें कोई संदेह नहीं है कि सरकार की इस योजना का सभी पेंशन भोगियों को लाभ होगा। सरकार द्वारा इस योजना में एक मुस्त ग्रेच्युटी भुगतान की व्यवस्था दी है। वही पेंशन योजना का कर्मचारी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा उन्हें पहले भी 18 फीसदी अंशदान देय था अब भी वह 18 फीसदी ही होगा। लेकिन सरकार का अंशदान 14 फीसदी से बढ़कर अब 18.5 फीसदी हो जाएगा। वृद्धावस्था के लिए पेंशन कितनी जरूरी है इसे तो सभी जानते हैं। लेकिन सरकार के इस फैसले के पीछे जो सबसे अहम कारण माना जा रहा है वह वोट बैंक की राजनीति है। वैसे भी देश की सभी सरकारों द्वारा हर फैसला होता भी वोट से ही जुड़ा है। महिला आरक्षण बिल जो मोदी सरकार अपनी दूसरी सरकार के टर्म में नारी वंदन के नाम से लाया गया था एक अच्छा उदाहरण है। यह बात अलग है कि इसका कोई लाभ 2024 के चुनाव में भाजपा को होता नहीं दिखा। अब इस नई पेंशन गारंटी को लेकर भी यही कहा जा रहा है कि सरकार ने चार राज्यों के चुनाव से पूर्व विपक्ष से एक चुनावी मुद्दा छीन लिया है अब देखना होगा कि सरकार की इस पेंशन गारंटी योजना का उसे आने वाले समय में कोई लाभ होता भी है या नहीं।

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