अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार सभी को है बीते कल एक समुदाय विशेष के लोगों ने जो प्रदर्शन किया उसे अनुचित नहीं ठहराया जा सकता है लेकिन इस प्रदर्शन की आड़ में जो उपद्रव किया गया और अराजकता फैलाने का प्रयास किया उसकी इजाजत किसी को भी नहीं दी जा सकती है। संगठित रूप से कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक दर्जनभर राज्यों में जिस तरह जुमे की नमाज के बाद लोगों ने प्रदर्शन विरोध के नाम पर पत्थरबाजी की, तोड़फोड़ की और आगजनी की वह बड़ा अपराध है। यही कारण है कि अब शासन—प्रशासन द्वारा इन उपद्रवियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। गनीमत यह रही कि पुलिस प्रशासन और शासन को अपने सूत्रों से पहले ही आउटपुट मिल चुके थे कि गड़बड़ी हो सकती है जिसके मद्देनजर शासन—प्रशासन अलर्ट पर था इस सतर्कता का ही परिणाम है कि इस बड़े षड्यंत्र के दुष्परिणाम लगभग शुन्य रहे। पुलिस प्रशासन ने कहीं भी उग्रता नहीं दिखाई और समझाने बुझाने के प्रयास को ही प्राथमिकता दी गई इसके लिए वह साधुवाद के पात्र हैं। लेकिन जितने व्यापक स्तर पर तथा सामान पैटर्न और तय समय पर इस उपद्रव को अंजाम दिया गया, महिलाओं और बच्चों को ढाल बनाकर इस्तेमाल किया गया, उनके हाथों में पत्थर थमाए गए सब कुछ उस सुनियोजित षड्यंत्र की तरफ ही इशारा करता है जिसका मकसद देश में अराजकता फैलाना था। इस उपद्रव के पीछे कौन लोग हैं? उन तक पहुंचना बहुत जरूरी है। मुस्लिम धर्मगुरुओं और उलेमाओं ने इसके पीछे ओवैसी की पार्टी और उनके लोगों तथा कुछ वामपंथियों का हाथ होने की आशंका जताई है। इतनी बड़ी ता वारदात स्वर्स्फूत नहीं हो सकती थी। यह पत्थर कहां से आए, सभी जगह एक जैसे पोस्टर कहां से आए? अनेक सवाल हैं जो इस घटना को सुनियोजित षड्यंत्र होने की ओर इशारा करते हैं। उत्तर प्रदेश इस घटना के केंद्र में था जिसके दर्जन भर से अधिक शहरों में बवाल हुआ यहां अब तक सवा दो सौ से अधिक गिरफ्तारियां हो चुकी है। सीएम योगी जिन्हे अब सभी बुलडोजर बाबा के नाम से जानते हैं वह किसी भी उपद्रवी को बख्शने वाले नहीं हैं। इसलिए दोषियों पर कार्रवाई होनी तय है वह भी ऐसी सख्त कि उनके आने वाली पीढ़ियां भी याद रखेंगीं। लेकिन सवाल यह है कि नूपुर शर्मा के इस बयान को लेकर यह सब हो रहा है उसके लिए जब वह माफी मांग चुकी है पार्टी उन्हें बर्खास्त कर चुकी है तब क्या यह मुद्दा इतना उछाला जाना चाहिए? इसके पीछे जो ताकतें काम कर रही हैं वह देश व राष्ट्र विरोधी हैं। जो देश में अराजकता फैला कर राजनीतिक अस्थिरता फैलाना चाहते हैं। शासन प्रशासन को ऐसी ताकतों से सावधान रहने की जरूरत है।