अंकिता को न्याय कब?

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अंकिता भंडारी की हत्या को एक साल का समय बीत चुका है लेकिन एक सवाल आज भी हर उत्तराखंडी की जुबान पर है कि आखिर अंकिता भंडारी को न्याय कब मिलेगा? हत्याकांड को लेकर पूरे एक साल से राज्य में धरने—प्रदर्शन मशाल—जुलूस आदि प्रदर्शनों के माध्यमों से न्याय की मांग की जा रही है। इसके पीछे जो खास वजह है वह है आरोपियों का रसूखदार होना और सत्ता पक्ष से जुड़ा होना। हर कोई इस बात को लेकर सरकार पर सवाल उठा रहा है कि सत्ता का संरक्षण आरोपियों को मिलने के कारण इस जघन्य हत्याकांड में न्याय मिलना मुश्किल है। सरकार के ऊपर अगर ऐसी आरोप लगाये भी जा रहे हैं तो वह बेवजह नहीं है। अंकिता की हत्या के पहले दिन से लेकर अब तक जितनी भी बातें और तथ्य सामने आए हैं वह सब आम आदमी के संदेह को ही पुख्ता करते हैं। चाहे वह राजस्व पुलिस की भूमिका हो जिसने हत्या के 2 दिन बाद तक इस मामले में कोई संज्ञान नहीं लिया, चाहे वह मामला पुलिस तक पहुंचने के बाद वनंत्रा रिजार्ट में बुलडोजर चला कर साक्ष्य मिटाने का हो या उस वीआईपी का नाम का आज तक खुलासा न हो पाने का हो जिसे स्पेशल सर्विस देने के लिए अंकिता पर दबाव बनाया जा रहा था। चाहे एसआईटी टीम को पर्याप्त साक्ष्य और आरोपी का मोबाइल बरामद न होने का हो या फिर आरोपियों का नार्काे टेस्ट से मुकर जाने का और इस मामले में सरकारी वकील को बदले जाने के लिए लंबी लड़ाई लड़े जाने तथा अधिकारियों के तबादलों का। अंकिता के परिजन और प्रदेश के लोग इस मामले की सीबीआई जांच की मांग लगातार करते रहे हैं लेकिन आज तक उन्हें सफलता नहीं मिल सकी है। खास बात यह है कि सरकार में बैठे लोग और मुख्यमंत्री धामी पहाड़ की इस बेटी को न्याय दिलाने की बात तो हमेशा करते रहे हैं लेकिन जनता उनके रवैया से संतुष्ट नहीं है। एक तरफ आरोपी के परिजनों को पद से हटाने की कार्रवाई की जाती है वहीं दूसरी तरफ आरोपियों को अपने बचाव का भी पूरा—पूरा मौका दिया जाता है तथा मामले पर लीपापोती के प्रयास तथा जनाक्रोश को दबाने के प्रयास भी किए जाते रहे हैं। अभी 2 दिन पूर्व मुख्यमंत्री ने राजकीय नर्सिंग कॉलेज होम का नाम अंकिता भंडारी के नाम पर रखने की जानकारी दी। सवाल यह है कि क्या नर्सिंग कॉलेज का नाम अंकिता के नाम पर रखे जाने से उस पहाड़ की बेटी को न्याय मिल जाएगा? उसकी बरसी से ठीक एक दिन पहले की यह घोषणा और इसके मायने क्या है। बीते दिनों राजधानी दून में महिला सुरक्षा के सवाल पर चिंतन मंथन किया गया जिसमें अंकिता का न्याय का मुद्दा उठाया गया। वक्ताओं ने साफ कहा कि जब तक इस तरह के मामलों में गंभीर पहल नहीं की जाएगी तब तक कभी अंकिता तो कभी अंशु नौटियाल जैसी घटनाएं सामने आती ही रहेगी। अगर सरकार इस हत्याकांड को लेकर जरा भी गंभीर है तो उसे इस मामले की जांच सीबीआई से करानी चाहिए जिससे दूध का दूध पानी का पानी हो सके। जब तक इस मामले की जांच सीबीआई से नहीं कराई जाएगी अंकिता को न्याय मिलना संभव नहीं है ऐसा अंकिता के परिजन भी मानते हैं और प्रदेश के आम लोग भी।

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