धर्मांधता को अगर समझना है तो अभी बिहार प्रवास के दौरान चमत्कारी बाबा धीरेंद्र शास्त्री को देखने सुनने व अपनी समस्याओं के समाधान में उमड़ी 8—10 लाख लोगों की भीड़ से बेहतर और कोई दूसरा उदाहरण नहीं हो सकता है। सही मायने में यह धीरेंद्र शास्त्री की लोकप्रियता का कोई मापदंड नहीं है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिनकी लोकप्रियता विश्व और देशभर में नंबर एक पर है अगर उन्हें भी एक—दो लाख की भीड़ किसी कार्यक्रम में जुटाने की जरूरत पड़ जाए तो किराए पर लोगों को इकट्ठा करना पड़ेगा लेकिन 25 साल के एक तथाकथित कथावाचक को देखने सुनने और मिलने के लिए बिहार में आठ—दस लाख लोगों की भीड़ का उमड़ना किसी को भी हैरान कर सकता है। एक सप्ताह पूर्व जब धीरेंद्र शास्त्री यहां बिहार पहुंचे तो हमने देखा था कि आधा दर्जन से अधिक विधायक, सांसद और मंत्रियों ने जिस तरह उनकी आगवानी की और आरती उतारी वह दृश्य इस कार्यक्रम में जुटी भीड़ से भी अधिक हैरान करने वाला था। खास बात यह थी कि यह विधायक, सांसद और मंत्री सिर्फ भाजपा के या उनकी गठबंधन सरकारों के ही थे। धीरेंद्र शास्त्री का चर्चाओं के केंद्र में आने के कारणों पर गौर किया जाए तो पहला कारण है सनातन धर्म का ध्वजवाहक बन कर उनका हिंदुत्व और हिंदू राष्ट्र वाद जिसे भाजपा का राष्ट्रीय एजेंडा बताया जाता है कुछ लोगों द्वारा धीरेंद्र शास्त्री को भाजपा का एजेंट बताकर उनकी निंदा की जा रही है लेकिन उनके पीछे उमड़ रही धर्मांध भीड़ को देखकर दूसरे राजनीतिक दल भी यह जरूर सोच रहे होंगे कि काश उन्हें भी कोई ऐसा एजेंट मिल जाता। जब किसी भी राजनीतिक दल को एक—एक वोट के लिए खून पसीना बहाना पड़ रहा है वही बिना कुछ किए ही लाखों—करोड़ों लोग कुछ भी करने को तैयार हो जाए इसे चमत्कार ही कहा जा सकता है। दरअसल भाजपा के नेता वह सब बोल भी नहीं सकते हैं जो धीरेंद्र शास्त्री अपनी टूटी फूटी भाषा श्ौली में बेबाकी से कह देते हैं वह भी बिना किसी डर के क्योंकि उन्हें पता है कि सत्ता का समर्थन उनके पीछे खड़ा है। उनके आगे पीछे बिहार में जिस तरह से भीड़ उमड़ती देखी गई अगर किसी नेता के पीछे इतनी भीड़ खड़ी हो जाए तो वह देश का प्रधानमंत्री या फिर तानाशाह बनने के सपने देखने लगता। इस भीड़ का दूसरा मैकेनिज्म है वह है परेशान जनता की समस्याओं का समाधान ढूंढना। धीरेंद्र शास्त्री किसी जादूगर की तरह किसी की भी समस्या के बारे में बिना बताए ही समझने और उनका समाधान देने का चमत्कार भी करते हैं। हिंदुस्तान जिसका हर आदमी अपने सिर पर समस्याओं का बोझ लिए घूम रहा है और अपनी परेशानियों का चमत्कारिक निदान चाहता है ऐसे ही लोगों की भीड़ धीरेंद्र शास्त्री के पीछे है। धर्मांध और चमत्कार की तलाश करने वाली इस भीड़ को एक तथाकथित बाबा द्वारा कैसे दिशा भ्रमित किया जा रहा है और इसके भावी परिणाम क्या होंगे यह तो समय ही बताएगा लेकिन बिहार में बाबा का चमत्कार बिहार व देश की राजनीति की दाल में तड़का जरूर लगा चुका है। पीएम मोदी ने बीते दिनों अमेरिका में कहा था कि कभी भारत सांप और सपेरों का देश हुआ करता था लेकिन आज 21वीं सदी का हिंदुस्तान किसका हिंदुस्तान है कैसा हिंदुस्तान है यह सभी के लिए विचारणीय सवाल है।