अव्यवस्थाओं से निपटने की चुनौती

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भले ही सरकार चार धाम यात्रा में आ रहे व्यवधान के लिए खराब मौसम को जिम्मेदार बताकर अपना पल्ला झाड़ रही हो लेकिन इसके लिए अव्यवस्थाएं भी कम जिम्मेदार नहीं है। अभी बीते दिनों केदारनाथ यात्रा को एक—दो दिन के लिए पूर्णतया रोका गया था जिसका कारण धाम में हो रही बर्फबारी और ग्लेशियर टूटने से रास्तों का अवरुद्ध होना ही था लेकिन चार धाम यात्रा के लिए पहले रजिस्ट्रेशन 15 मई तक रोका जाना और अब इस तारीख को 25 मई तक बढ़ाया जाना खराब मौसम की वजह कम, धाम में फैली अव्यवस्थाएं अधिक है। सरकार द्वारा यात्रियों की रहने और धाम में ठहरने तथा खाने—पीने की समुचित व्यवस्था नहीं की गयी है। जीएमवीएम द्वारा जो यात्रियों के ठहरने के लिए टेंट की व्यवस्था की गई है वह डावाडोल है। लोग शौचालय तक के लिए परेशान हैं वहीं लाटरी के जरिए स्थानीय लोगों को टेंट लगाने का अवसर दिया गया था उन्हें नाहक ही परेशान किया जा रहा है और वह परेशान होकर अपना बोरिया बिस्तर समेटने पर मजबूर हैं। धाम तक जाने के लिए घोड़ा खच्चरों की व्यवस्था है वह भी ठीक नहीं है। पैदल मार्ग पर जाने वाले यात्रियों को इसके कारण भारी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। पैदल मार्ग पर अभी से गंदगी की जिस तरह से भरमार देखी जा रही है अगर उसकी स्थिति यही रही तो आने वाले दिनों में क्या हाल होगा? यह सहज समझा जा सकता है। सरकार द्वारा दावा किया गया था कि हेली सेवा में इस साल कोई गड़बड़ी नहीं होगी तथा ब्लैक मेलिंग पर रोक लगाई जाएगी उसमें भी सरकार फेल होती दिख रही है। एक तरफ हेली सेवा में ब्लैक मेलिंग और मनमानी जारी है वहीं दूसरी ओर घोड़ा खच्चर वाले भी 2 गुना ज्यादा किराया वसूल रहे हैं। यात्रियों को खाने पीने का सामान भी औने पौने दामों पर मिल रहा है। सरकार के स्तर पर कहा जा रहा था इस बार चारों धामों में व्यवस्थाएं पहले से अधिक चाक—चौबंद होगी और यात्रियों को दर्शनों के लिए लाइनों में नहीं लगना पड़ेगा लेकिन यहां स्लाट सिस्टम की बात तो छोड़िए श्रद्धालुओं को गर्भ ग्रह तक जाने और दर्शन करने का अवसर भी नहीं मिल पा रहा है और उन्हें मेन हाल से ही दर्शन करा कर बाहर धकेल दिया जा रहा है क्योंकि धाम में श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी अधिक पहुंच रही है कि उसे संभालना मुश्किल हो रहा है। धाम की क्षमता 10—12 हजार श्रद्धालुओं की है और 25—26 हजार श्रद्धालु हर रोज धाम पहुंच रहे हैं। यह हाल तब है जब मौसम खराब है। सरकार ने एक निश्चित संख्या में ही एक दिन में श्रद्धालुओं के भेजने की जो व्यवस्था की थी उसे समाप्त नहीं करना चाहिए था लेकिन स्थानीय लोगों व पंडा पुजारियों के दबाव में सरकार ने यह व्यवस्था समाप्त कर दी जो अब अव्यवस्थाओं का मुख्य कारण बन रही है। रजिस्ट्रेशन पर रोक इसका कोई सही समाधान नहीं है देखना यह है कि आने वाले दिनों में बद्री केदार प्रबंध समिति व सरकार इन अव्यवस्थाओं से कैसे निपटती है। जिसके कारण गलत संदेश जा रहा है और देवभूमि व सरकार की छवि खराब हो रही है।

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