बढ़ती आबादीः वरदान या अभिशाप

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बीते कल आई संयुक्त राष्ट्र की स्टेट ऑफ द वर्ल्ड पापुलेशन रिपोर्ट 2023 के अनुसार भारत आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ कर विश्व का सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन चुका है रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान समय में भारत की आबादी एक अरब 42 करोड़ 86 लाख हो चुकी है जबकि चीन की आबादी एक अरब 42 करोड़ 57 लाख है यानी भारत की आबादी चीन से 29 लाख अधिक हो चुकी है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत की कुल आबादी की 68 फीसदी 15 से 68 के बीच आयु वर्ग की है यानी भारत युवाओं का देश है यहां 60 वर्ष से अधिक आयु वाली आबादी सिर्फ 7 फीसदी है जबकि चीन में उसकी आबादी का 40 फीसदी यानी 20 करोड़ से अधिक लोग 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले हैं जिसके कारण चीन को वृद्धों का देश माना जाता है। दूसरी खास बात यह है कि भारत में युवा कामगारों की संख्या 1 अरब से अधिक है जिनमें 20 लाख नए कामगार अभी बीते 1 साल में जुड़े हैं। इन्हीं युवा कामगारों के दम पर भारतीय अर्थव्यवस्था के अभी आगामी 10 सालों तक निरंतर आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के तौर पर देखा जा रहा है। आधी आबादी का 30 साल से कम का होना अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जा रहा है। भारत जो एक कृषि प्रधान देश है वह दुनिया में अपना लोहा मनवा सकता है। भारत की अर्थव्यवस्था को 2030 तक 7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की बात अगर की जा रही है तो इस युवा आबादी के दम पर ही की जा रही है। इस रिपोर्ट में यह साफ कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था आगामी समय में तेजी से मजबूती की ओर बढ़ेगी इस दृष्टिकोण से भारत की यह बढ़ती आबादी उसके लिए एक वरदान मानी जा सकती है। एक अनुमान के अनुसार भारत की आबादी जिस तरह से बढ़ रही है 2050 तक देश की आबादी 1668 करोड़ के पार पहुंच जाएगी। चीन की आबादी को नियंत्रण में रखने के जो ठोस प्रयास किए गए उनके कारण ही चीन की आबादी में 1980 से निरंतर गिरावट आई है। चीन में कई साल पहले एक बच्चे का फार्मूला लागू कर दिया गया था जबकि भारत की जनसंख्या नियंत्रण पॉलिसी अभी भी ट्टहम दो हमारे दो’ पर ही अटकी हुई है भारत में जिस लोकतांत्रिक व्यवस्था की बात हम और हमारा संविधान करता है वहां कोई किसी को शक्ति के बल पर अपनी बात मनवाने पर मजबूर नहीं कर सकता है यही कारण है कि जनसंख्या नियंत्रण कानूनों का देश को उतना फायदा नहीं हो सका जितना होना चाहिए था। परिवार नियोजन की बात भी कुछ खास जाति व समुदायों तक ही सीमित रही और खासकर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बच्चों की पैदाइश को अल्लाह की नियामत का हवाला देकर नकार दिया। यह ठीक है कि आज भारत युवाओं का देश है लेकिन 25—30 साल बाद यही युवाओं का देश चीन की तरह वृद्धों का देश बनकर हमारे सामने होगा अगर इस बढ़ती आबादी को रोकने के लिए अभी से प्रभावी उपाय नहीं किए गए तो इस कृषि प्रधान देश में कृषि क्षेत्र में निरंतर कमी आ रही है तथा जोत छोटी पर छोटी होने के कारण उत्पादकता भी गिर रही है। विकास भी 30 फीसदी की भागीदारी वाले कृषि क्षेत्र की गिरावट से आने वाले सालों में देश के सामने खाघान्न की समस्या खड़ी हो सकती है इसलिए खाघान्न व जनसंख्या संतुलन को बनाए रखना भी जरूरी है अगर ऐसा नहीं किया जा सका तो यही जनसंख्या जो आज अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनी हुई है और वरदान लग रही है कल एक बड़ा अभिशाप साबित होगी इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए।

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