दिशाहीन पीढ़ी का दर्दनाक अंत

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निक्की यादव हत्याकांड उस असामाजिक और अनैतिक सोच की परिणीति है जिसने लिव इन रिलेशनशिप जैसी कुरीतियों को जन्म दिया है। उन्मुक्त जीवन की चाह देश के युवाओं को न सिर्फ अपनी सभ्यता और सामाजिक व्यवस्थाओं से दूर ले जा रही है बल्कि उन्हें नशे और अपराध के अंधेरों में धकेल रही है। यह कितना हैरान करने वाला है कि निक्की के परिजनों को उसकी हत्या के बाद यह तक पता नहीं चल सका कि वह कहंा है। निक्की जो चार साल पहले एक कोचिंग में साहिल के सम्पर्क में आयी और फिर दोनो लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगे। जिसके बाद निक्की द्वारा शादी के लिए दबाव बनाने पर साहिल ने उसकी हत्या कर उसके शव अपने ढाबे के प्रिQज में रख दिया। अपराधी ने एक सुनियोजित तरीके से न सिर्फ अपराध किया बल्कि हत्या वाली रात ही उसने पहले किसी दूसरी लड़की से सगाई भी कर ली। निक्की की खोज खबर में अगर पिता जोर न लगाते तो इस केस का अभी खुलासा भी नहीं हो पाता। खैर अब आरोपी पुलिस गिरफ्त में है और उसने अपना अपराध भी कबूल कर लिया है तथा उसके द्वारा पुलिस को यह भी बताया जा चुका है कि हत्या करने के बाद वह शव को बगल में बैठाकर कई किलोमीटर कार से घूमता रहा और अपने ढाबे में ले जाकर उसका शव उसने प्रिQज में छुपा दिया। जिसे पुलिस द्वारा पहले ही बरामद किया जा चुका है। यह दीगर बात है कि पुलिस उसको अपराधी साबित कर पाती है या नहीं। अभी कुछ समय पहले दिल्ली में ही लिव एंड रिलेशनशिप में रहने वाले एक व्यक्ति ने सनसनीखेज श्रद्धा हत्याकांड जैसी नृशंस वारदात को अंजाम दिया था। जिसके शव के उसने 35 टुुकड़े कर उसे अलग—अलग स्थानों पर फेंक दिये थे। उसकी मौत का खुलासा भी कई माह बाद हुआ था। आए दिन इस तरह की घटनाएं देश के कई हिस्सों से सामने आती रहती हैं। कुछ साल पहले देहरादून में भी अनुपमा गुलाटी हत्याकांड खबरों की सुर्खियों में रहा था। जहां अनुपमा की हत्या कर उसके पति द्वारा उसके 72 टुकडे कर जंगल में फेंक दिये गये थे। पहले प्रेमविवाह और फिर हत्या के इस मामले का भी खुलासा अनुपमा से संपर्क न हो पाने के कारण ही हो सका। अनुपमा की तरह श्रद्धा के शव को भी टुकड़े कर डीप फ्रीजर में रखा गया और दो माह में उसके टुकड़े जंगल में फेंके गये और अब एक बार फिर निक्की की हत्या कर उसके प्रेमी ने उसे अपने ढाबे में प्रिQज मे रख दिये जाने की कहानी सामने आई है। महिलाओं पर अत्याचार को लेकर तमाम कड़े कानून भी उनकी रक्षा नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन हमारी युवा पीढ़ी इसके लिए खुद कितनी जिम्मेदार है? यह इन अपराधों के बारे में अहम पहलू है। उन्मुक्त जीवन युवा पीढ़ी को किस दिशा में ले जा रही है? यह एक सोचनीय विषय है। उन्हें न तो प्यार के ढाई अक्षर का पता है कि वह किस पेड़ की चिड़िया का नाम है न सेक्स की एबीसीडी पता है और न विवाह के मायने का ज्ञान है। एक अंधी दौड़ है जो उन्हें अंधेरे में धकेल रही है।

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