राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी एनआईए और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा बीते कल पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के ठिकानों पर जो कड़ी कार्रवाई की गई है वह इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि यह सुरक्षा एजेंसियों द्वारा किसी संगठन के खिलाफ की जाने वाली सबसे बड़ी कार्रवाई है अपितु इसलिए इसका महत्व है क्योंकि यह सामाजिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए की गई अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। भले ही अब इस बड़ी कार्यवाही के बाद पीएफआई से जुड़े उनके कार्यकर्ताओ ने आज केरल बंदी का ऐलान कर रखा हो और हिंसक वारदातों पर उतारू हो लेकिन उनकी किसी भी अराजक गतिविधियों से निपटने के लिए केरल हाईकोर्ट से लेकर केरल पुलिस पूरी तरह चौकस है। सिमी पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद अस्तित्व में आए इस संगठन पीएफआई का उद्देश्य भले ही अल्पसंख्यक गरीबों के कल्याण और शिक्षित बनाने के लिए किया गया हो लेकिन यह संगठन अपने गठन के बाद से ही सरकार के कामों का विरोध करने और उग्र हिंसक आंदोलनों के जरिए समाज में अराजकता और धार्मिक कटृरता को बढ़ावा देना ही रहा है। बात चाहे सीएए के विरोध प्रदर्शनों की हो या फिर भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा द्वारा दिए गए बयान और उस पर आने वाली प्रतिक्रियाओं व हिंसा की वारदातों की अथवा हाथरस में दलित युवती से सामूहिक बलात्कार की इन तमाम घटनाओं को लेकर जो विरोध प्रदर्शन हुए हैं उनमें पर्दे के पीछे पीएफआई की भूमिका ही सामने आती रही है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 2012 में तत्कालीन केरल की कांग्रेसी सरकार द्वारा हाईकोर्ट में हलफनामा देते हुए कहा गया था कि पीएफआई प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट ऑफ इस्लामिक मूवमेंट (सिमी) का ही नया रूप है। सरकार ने यह भी कहा था कि 27 हत्याओं के मामले में पीएफआई का सीधा कनेक्शन है। पीएफआई पर देश में कटृरवाद धार्मिक एजेंडा चलाने और अराजकता और हिंसा फैलाने के आरोप अगर लगते रहे हैं तो वह बेवजह नहीं है। दिल्ली हिंसा से लेकर केरल में हुई हत्याओं व हिजाब विवाद तक जो भी ऐसे मामले अब तक देश भर में सामने आए हैं उनमें पीएफआई की भूमिका हमेशा संदेह के दायरे में रही है। रही बात वर्तमान समय में की गई एनआईए और ईडी की कार्रवाई की तो यह कोई एक घटना या एक दिन की तैयारी की परिणिति नहीं है। लंबे समय से पीएफआई के खिलाफ बड़े ऑपरेशन की तैयारी थी देश के 11 राज्यों में 100 से अधिक ठिकानों पर की गई इस छापेमारी में 106 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। केंद्र सरकार और जांच एजेंसियां पुख्ता सबूतों के आधार पर ही आगे बढ़ रही हैं। हो सकता है कि यह छापेमारी पीएफआई पर प्रतिबंध तक भी शीघ्र पहुंच जाए लेकिन आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता का आरोप किसी पर भी बेवजह भी नहीं लगना चाहिए एजेंसियों को इस कार्रवाई में इस बात की सतर्कता जरूर बरतनी चाहिए कि किसी बेगुनाह को सजा न मिले लेकिन कोई गुनहगार छूटना भी नहीं चाहिए।