मदरसों के सर्वे पर सवाल?

0
274

उत्तर प्रदेश सरकार की तर्ज पर अब उत्तराखंड के मदरसों का सर्वे सरकार द्वारा कराया जाएगा। मुख्यमंत्री धामी का कहना है कि मदरसों को लेकर तमाम तरह की बातें सामने आ रही हैं इसलिए मदरसों का सर्वे जरूरी है। उनके इस बयान के बाद अब यह तय हो गया है कि उत्तराखंड के मदरसों का सर्वे जरूर होगा। ऐसे कई सवाल हैं जिनका सही जवाब इस सर्वे से मिल सकेगा। बड़ी साफ बात है कि कुछ नेताओं और मदरसों संचालकों द्वारा इसका विरोध भी किया जाना तय है। एक सवाल यह है कि किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा कुछ भी किया जाए इसे जानने का अधिकार सरकार को क्यों नहीं है? इस पर किसी को भी आपत्ति तभी हो सकती है जब कहीं कुछ गलत या गड़बड़ होता है। राज्य में 419 मदरसों का संचालन हो रहा है जिनमें से 192 वित्त पोषित है बाकी मदरसों के संचालन के लिए धन कहां से आ रहा है? और कितना धन आ रहा है तथा उसको कहां खर्च किया जा रहा है? इन मदरसों का संचालन किस व्यक्ति या संस्था द्वारा किया जा रहा है। किस मदरसे में कितने छात्र तालीम ली रहे हैं तथा कितने शिक्षक हैं। मदरसों में तालीम किस तरह की दी जा रही है और इन मदरसों में क्या—क्या संसाधन उपलब्ध है तथा क्या संसाधन नहीं है? यही नहीं किस मदरसे का संचालन कितने समय से किया जा रहा है और जिस जमीन पर मदरसा बना है वह जमीन किसकी है आदि अनेक ऐसी जानकारियां सरकार के पास क्या नहीं होनी चाहिए? बीते कल उत्तर प्रदेश में एक मदरसे पर बुलडोजर चलाए जाने की खबर आई थी। इस मदरसे को चारागाह की जमीन पर बनाया गया था। हाईवे के निकट बेशकीमती जमीन पर बनाया गया यह मदरसा सरकार की जमीन पर अवैध कब्जा कर बनाया गया था। जिसे कल ध्वस्त कर दिया गया। उत्तराखंड में आधे से अधिक मदरसे ऐसे हैं जो शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त भी नहीं है। सीधी बात है जिन मदरसों पर शिक्षा विभाग की मान्यता नहीं है उन मदरसों में पढ़ाई करने वाले छात्रों को जो शिक्षा प्रमाण पत्र या डिग्रियां दी जा रही हैं उनकी भी कहीं कोई मान्यता नहीं हो सकती इन मदरसों में पढ़ने वाले छात्र कहीं भी नौकरी और रोजगार नहीं पा सकते तब ऐसी शिक्षा का क्या औचित्य रह जाता है। एक रिपोर्ट से यह बात भी सामने आई है कि अब इन मदरसों में छात्रों की संख्या भी लगातार कम होती जा रही है। सवाल यह है कि कोई भी शिक्षण संस्थान अगर नियम कानूनों के अनुसार नहीं चल रहा और अगर उसके द्वारा युवाओं व बच्चों का भविष्य खराब किया जा रहा है तो क्या उसका संचालन इसलिए किया जाता रहना चाहिए क्योंकि उसका ताल्लुक किसी खास समुदाय विशेष से है। इन मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को किसी भी मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थान में एडमिशन तक नहीं मिल पाता है नौकरी तो बहुत दूर की बात है तब ऐसी शिक्षा का क्या औचित्य है। मदरसों के संचालन पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए लेकिन मदरसों में शिक्षा का स्तर बेहतर होना जरूरी

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here