कांग्रेस पर भारी न पड़ जाए असंतोष की आग?

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जमीनी नेता व कार्यकर्ता अनदेखी से आहत
रंजीत रावत व दुर्गापाल निर्दलीय चुनाव लड़ने को तैयार

देहरादून। बीती रात कांग्रेस की दूसरी प्रत्याशी सूची आते ही असंतोष का ज्वालामुखी फट गया है। रामनगर से पूर्व सीएम हरीश रावत व कालाढूंगी से महेंद्र पाल तथा लाल कुआं से संध्या डालाकोटी को प्रत्याशी बनाए जाने के विरोध में पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अब खुलकर मैदान पर आ गए हैं। कई नेता पार्टी छोड़ने और निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान कर रहे हैं।
बीते कल कांग्रेस ने 11 प्रत्याशियों की सूची जारी की थी जिसमें हरीश रावत को रामनगर से प्रत्याशी बनाया गया है, जहां से रंजीत रावत प्रबल दावेदार थे। हरीश रावत को टिकट दिए जाने से नाराज रंजीत रावत अब पार्टी छोड़ने और निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने का दावा ठोक रहे हैं। अब भले ही उनके मान मनोव्वल की कोशिशें की जा रही हैं लेकिन अगर रंजीत रावत नहीं मानते हैं तो कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकते हैं। पार्टी अब रंजीत रावत को उनकी पुरानी सल्ट सीट से प्रत्याशी बनाए जाने की बात कह रही है जबकि रंजीत रावत अपने बेटे विक्रम रावत को सल्ट से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतारने की बात कर रहे हैं।
उधर कालाढूंगी सीट से डॉ महेंद्र पाल को टिकट दिए जाने से महेश शर्मा की नाराजगी सामने आई है आज वह पंचायत बुलाकर अपने समर्थकों से वार्ता करने और निर्दलीय चुनाव लड़ने पर फैसले की बात कर रहे हैं। वही लाल कुआं क्षेत्र से प्रत्याशी न बनाए जाने से पूर्व काबीना मंत्री और दो बार के विधाायक रहे हरीश दुर्गापाल की नाराजगी भी सामने आई है। हरीश दुर्गापाल ने तो अपने घर पर लगा कांग्रेस का झंडा भी उतार दिया है तथा वह कांग्रेस छोड़कर एक बार फिर निर्दलीय चुनाव मैदान में जाने की बात कर रहे हैं। यही नही देहरादून कैंट से सूर्यकांत धस्माना को भी टिकट दिए जाने का विरोध हो रहा है। कांग्रेस नेता दीप बोहरा जो अपनी सभासद पत्नी कोमल बोरा को टिकट देने की पैरवी कर रहे थे उनका कहना है कि सूर्यकांत को टिकट देकर कांग्रेस ने फिर 2017 की गलती दोहराई है क्योंकि कैंट क्षेत्र में 36 हजार पंजाबी वोटर है।
पार्टी में इस बात को लेकर भी नाराजगी है कि पार्टी में उन कार्यकर्ताओं की अनदेखी की जा रही है जो लंबे समय से पार्टी से जुड़े हैं। और दिन—रात समर्पित भाव से काम कर रहे हैं। नए लोग जो अभी चार दिन पहले पार्टी में आए हैं उन्हें पार्टी टिकट दे रही है और पुराने नेताओं व कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर रही है जो उसे भारी पड़ सकती है।

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