देहरादून। साल 2012 में राजपुर स्थित वीरगिरवाली गांव में 1.5 हेक्टेयर भूमि पर खड़े पेड़ों के कटान व वन विभाग की भूमि कब्जाने के मामले में पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू सहित आठ लोगों के खिलाफ वन विभाग की तहरीर के बाद शासन के आदेशों पर राजपुर थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू पर आरोप है कि वर्ष 2012 में उन्होने मसूरी वन प्रभाग के वीरगिरवाली गांव में यह जमीन खरीदी थी। मार्च 2013 में उन्होने इस जमीन पर खड़े पेड़ कटवा दिये। जिसके बाद वन विभाग द्वारा जब इस मामले की जांच की गयी तो पता चला कि सम्बन्धित पेड़ जिस जमीन पर थे वह रिजर्व फारेस्ट की है। आरोप है कि पूर्व डीजीपी सिद्धू ने अवैध तरीके से यह जमीन खरीदी और इस पर खड़े पेड़ कटवा दिये। इस मामले में वन विभाग द्वारा उनके खिलाफ जुर्म काटा था जिस पर एनजीटी ने भी उन पर 50 हजार का जुर्माना लगाया था। मामले में वन विभाग द्वारा कुछ समय पूर्व उत्तराखण्ड शासन से पूर्व डीजीपी के खिलाफ रिजर्व फारेस्ट में जमीन कब्जाने और पेड़ काटने के आरोेप में मुकदमा दर्ज करवाने की अनुमति मांगी गयी थी। जिसकी अनुमति वन विभाग को 10 अक्टूबर को वन सचिव द्वारा दे दी गयी थी। जिसके बाद वन विभाग की ओर से थाना राजपुर में पूर्व डीजीपी व तत्कालीन तहसीलदार सहित आठ लोगों के खिलाफ तहरीर दी गयी। जिस पर शासन के आदेशों के बाद पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू, तत्कालीन तहसीलदार सुजाउद्दीन, महेन्द्र सिंह, नत्थूराम पुत्र महकुल्लम, दीपक शर्मा पुत्र एम पी शर्मा, स्मिता दीक्षित, सुभाष शर्मा पुत्र खुशीराम व कृष्ण पुत्र लाल सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
हांलाकि इस मामले में पूर्व डीजीपी द्वारा एसएसपी देहरादून को पत्र लिखकर अपना पक्ष रखते हुए बताया गया है कि जिन आरोपों को पूर्व समय में न्यायालय में बल नहीं मिला उनमें अब मुकदमा किस आधार पर दर्ज किया जा सकता है।