बहुत हुई महंगाई की मार अब तो रहम करो सरकार

0
556

चुनावों में महंगाई रहेगा सबसे प्रभावी मुद्दा
पेट्रोल व डीजल के बाद टमाटर भी अब सौ के पास

देहरादून। पांच राज्यों में होने वाले चुनावों में महंगाई का मुद्दा सर्वाधिक प्रभावी रहने वाला है। यह बात सिर्फ विपक्षी दलों के नेता ही नहीं कह रहे हैं या मान रहे हैं अपितु चुनावी सर्वे करने वाली एंजेसिंयों का भी अनुमान है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि वर्तमान समय में आम आदमी के जीवन पर सबसे बड़ी मार महंगाई की ही पड़ रही है। बढ़ती महंगाई को लेकर लोगों में भारी आक्रोश है। खासतौर पर निम्न और निम्न मध्यम वर्ग व मध्यम वर्ग पर इस महंगाई का सर्वाधिक प्रभाव पड़ रहा है।
भले ही पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत निर्धारण का काम केंद्र व राज्य सरकारों के अधीन न सही, लेकिन बीते दो—तीन माह में पेट्रोल—डीजल और रसोई गैस की कीमतों में अप्रत्याशित रूप से हुई बढ़ोतरी आम आदमी को सबसे अधिक खल रही है। अभी बीते दिनों केंद्र और कुछ राज्य सरकारों द्वारा अपने टैक्स में मामूली कटौती कर थोड़ी राहत जरूर दी गई थी लेकिन इसके बावजूद भी आम आदमी को कोई राहत नहीं मिल सकी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार नीतियों के कारण या फिर चुनाव के मद्देनजर अब केन्द्र सरकार अब अपने रिजर्व पूल से 50 लाख मीट्रिक टन तेल निर्यात कर इसकी कीमतों पर नियंत्रण की कोशिश जरूर करने का प्रयास कर रही है लेकिन इससे कीमतें कितनी कम को पाती है समय ही बताएग।
पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों के साथ आम उपभोक्ता वस्तुओं की कीमते भी इतनी अधिक बढ़ चुकी हैं कि उन पर काबू पाना मुश्किल हो रहा है देश भर में टमाटर के दाम सौ रूपये प्रति किलो की आस—पास है। हैरान करने वाली बात यह है कि सेब की कीमत 40—50 रुपए किलो है और टमाटर 100 रुपए किलो। जो अब आम आदमी की पहुंच से बाहर हो चुका है। हालांकि बेमौसम बारिश से सब्जी की फसलों को हुए नुकसान के कारण अन्य सब्जियों के दाम भी अन्य सालों की तुलना में 50 से 100 फीसदी तक अधिक है लेकिन आलू प्याज और टमाटर जैसी आम सब्जियों की यह महंगाई आदमी को अत्यधिक प्रभावित कर रही हैं।
खाघ तेलों की कीमतें भी बीते कुछ महीनों में अपने तमाम रिकार्ड तो तोड़ चुकी हैं और कमी के बावजूद उनके दाम दो से ढाई गुना बढ़ गए हैं ऐसा ही हाल दालों और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं का भी है। लोगों का कहना है कि कमाओ और बस पेट भरने का जुगाड़ कर लो बाकी अन्य किसी जरूरत के बारे में सोच पाना भी उनके लिए संभव नहीं हो पा रहा है। राजनीतिक भले ही जनता से कुछ भी वायदे कर ले लेकिन इस दौर में महंगाई के मुद्दे को लेकर वह सत्ता में बैठे लोगों को पानी पी पीकर कोस रहे हैं जिसका असर चुनाव पर भी पड़ना तय है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here