खतरे की जद में औली रोप—वे

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रोप—वे भवन दरका, जोशीमठ में राहत

नए भवनों में दरार का सिलसिला थमा
होटल डिस्मेंटल काम जारी, जल रिसाव में कमी

जोशीमठ। भू—धसाव की जद में आए जोशीमठ शहर से आज 13 दिन बाद एक अच्छी खबर यह है कि बीते 24 घंटों में किसी नए मकान में दरार नहीं आई है तथा पानी का रिसाव भी कम होता जा रहा है, लेकिन पुरानी दरारे जहां और अधिक चौड़ी होती दिख रही हैं वहीं औली रोप—वे भवन में दरारे आने से रोपवे के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है।
औली रोप—वे जो एशिया का सबसे बड़ा रोपवे तथा इस रोपवे को उत्तराखंड के पर्यटन विकास के दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्व वाला माना जाता है भू—धसाव की जद में आ गया है। हालांकि रोप—वे को उसी समय बंद कर दिया गया था जब शहर के भवन तेजी से नीचे धसना शुरू हुए थे। उस समय इस रोप—वे के एक पिलर में हल्की दरार आने की बात सामने आई थी और एहतियातन इसके संचालन पर रोक लगा दी गई थी लेकिन बीते 24 घंटों में रोपवे भवन की इमारत में मोटी दरारें आ गई है। जानकारी के अनुसार यह दरारे 6 फीट गहरी और 6 इंच चौड़ी बताई जा रही है। इन दरारों से रोप—वे के भविष्य पर अब संकट गहराता दिख रहा है। इस रोप—वे के कारण ही औली क्षेत्र के पर्यटन को बढ़ावा मिल सका है अगर रोप—वे का संचालन किसी वजह से रुका तो यह यहां के पर्यटन को भारी झटका होगा।
उधर जोशीमठ से मिले समाचारों के अनुसार बीते 48 घंटों से नए भवनों में दरारे आने का सिलसिला थमा हुआ है। जिन भवनों में दरारें आई थी उनकी संख्या अभी 670 ही है वहीं पानी का रिसाव भी 50 से 60 फीसदी कम हुआ है जो एक बड़ी राहत की खबर है। जिन दो होटलों के डिस्मेंटल करने का काम चल रहा है वह आज तीसरे दिन भी जारी है। एक तरफ प्रभावित क्षेत्र में प्रशासनिक अमला व एसडीआरएफ तथा एनडीआरएफ की टीमें मोर्चा संभाले हुए हैं और अनुषांगिक कार्य में विशेषज्ञों की टीमें जुटी हुई है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा की सरकार और संगठन के लोग भी जोशीमठ में जमे हुए हैं और लोगों को इस बात का भरोसा दिलाने में जुटे हैं कि सरकार उनके ही परिवार का हिस्सा है। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भटृ व महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष नेहा जोशी का कहना है कि धीरे—धीरे हालात सामान्य हो रहे हैं। धन सिंह रावत ने बताया कि प्रभावितों के स्वास्थ्य जांच के लिए यहां कैंप लगाए गए हैं।


मीडिया को जानकारी न दे जांच एजेंसियां

जोशीमठ। एनडीएनए के अधिकारियों द्वारा जोशीमठ में आपदा के कारणों को खोजने और अनुसंधान तथा शोध कार्य में जुटी तमाम एजेंसियों के अधिकारियों व वैज्ञानिकों को हिदायत दी गई है कि वह न तो मीडिया को इससे जुड़ी जानकारियां साझा करें न सोशल मीडिया में कोई पोस्ट आदि डालें। उनका कहना है कि इससे न सिर्फ भ्रम पैदा होता है बल्कि कार्य भी प्रभावित होता है यहां यह उल्लेखनीय है कि जोशीमठ में इस समय एनडीएमए के अलावा जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, आईआईटी रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट, नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हाइड्रोलॉजी तथा सेंटर ऑफ बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट आदि संस्थानों की टीमों के विशेषज्ञ इस भूधसाव पर काम कर रहे हैं।

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