पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी के बेटे मनीष खंडूरी ने कल कांग्रेस को टाटा बाय—बाय कह दिया। उन्होंने कांग्रेस क्यों छोड़ी? इसका कोई कारण न उन्होंने खुद कुछ बताया है और न प्रदेश कांग्रेस कुछ बता पाने की स्थिति में है। अभी उन्हें राजनीति में आए मात्र 5 साल का समय ही हुआ है। अपने पारिवारिक राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण वह 2019 के लोकसभा चुनाव से ऐन पूर्व कांग्रेस की सदस्यता लेकर कांग्रेस में आए और गढ़वाल संसदीय सीट से कांग्रेस का टिकट पाकर चुनाव लड़े और हार गए। और अब 2024 के लोकसभा चुनाव से ऐन पूर्व कांग्रेस छोड़कर चले भी गए। 2019 में अगर चुनाव जीत जाते तो निश्चित तौर पर यह जीत उनकी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती थी। एक आम कार्यकर्ता जो 10—20 साल पार्टी का झंडा उठाएं फिरता है उसे पार्षद का टिकट भी मिलना मुश्किल हो जाता है लेकिन मनीष खंडूरी जैसे कुछ भाग्यशाली लोग आज राजनीति में आते हैं और कल ही वह संासद का चुनाव लड़ने का टिकट भी पा जाते हैं और चंद साल में ही पार्टी को छोड़कर चले जाते हैं। हो सकता है कि आने वाले दिनों में वह कांग्रेस पर ही अपनी उपेक्षा का आरोप लगाते नजर आए और भाजपा के साथ खड़े हुए दिखाई दे और भाजपा भी उन्हें गढ़वाल या हरिद्वार सीट से अपना लोकसभा प्रत्याशी घोषित कर दे, जिसकी संभावनाएं बहुत कम है। क्योंकि भाजपा में पहले ही दावेदारों की भरमार से स्थित एक अनार सौ बीमार जैसी बनी हुई है मनीष खंडूरी ने कांग्रेस क्यों छोड़ी यह तो मनीष खंडूरी ही जान सकते हैं लेकिन भाजपा जो अब उन्हें पार्टी में लाने के लिए उत्साहित है उसका उद्देश्य जरूर साफ है। विपक्षी दलों के नेताओं को समेट कर उन्हें कमजोर करने की रणनीति उसकी सफलता का एक बड़ा कारण रही है इसलिए उसे मनीष खंडूरी को पार्टी में शामिल करने में कोई एतराज नहीं हो सकता है भले ही उसे मनीष के आने से कोई फायदा न हो क्योंकि उनका अपना कोई राजनीतिक प्रभाव और आम जनता के बीच उनकी अपनी कोई पकड़ नहीं है। लेकिन भाजपा के लिए यही काफी है कि मनीष के आने से कांग्रेस कमजोर होगी यह संदेश जनता में जाएगा। मोदी और भाजपा का तिलस्म भले ही वर्तमान दौर में टूटता दिखाई दे रहा हो लेकिन अभी भी अति महत्वकांक्षी लोगों और नेताओं की दौड़ भाजपा की ओर जारी है। अभी—अभी चार दिन पहले पश्चिम बंगाल हाई कोर्ट के जज अपने पद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए हैं। राजनीति देश और समाज की सेवा का वर्तमान दौर में कितना सशक्त माध्यम रह गया है इसका सच सभी जानते हैं किसी को कुछ बताने की शायद जरूरत नहीं है अगर कोई नेता समाज सेवा व राष्ट्रीय सेवा की बात कह कर राजनीति में आने की बात कहता है तो शायद इससे बड़ा झूठ कुछ और नहीं हो सकता है। हमें और आपको इस बात को जानने के लिए कि एक हाई कोर्ट के जज और मनीष खंडूरी जैसे लोगों की तलाश क्या है और उनका राजनीतिक भविष्य क्या होता है तथा वह देश और समाज की कितनी सेवा करते हैं पूर्व न्यायाधीश अगर अपनी कुर्सी पर बैठकर जन सेवा नहीं कर सके तो राजनीति में रहकर क्या जन सेवा करेंगे। लेकिन हम आजाद देश के नागरिक हैं और हमें यह तय करने का अधिकार है कि हमें क्या करना है। इस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं हो सकती।