लोकसभा चुनाव में अब बहुत ज्यादा समय नहीं बचा है। 2014 के चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व ने केंद्रीय सत्ता संभाली थी तब भले ही भाजपा ने अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए देश के लोगों से कई अविश्वसनीय लोक लुभावन वायदे किए हो जिसमें विदेश में जमा काले धन को वापस लाने और हर एक गरीब के खाते में 15 लख रुपए जमा करने तथा हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने की बात कही गई हो या फिर उसे 2019 के चुनाव में भी तमाम लोक लुभावन योजनाओं जैसे किसानों की आय दोगुना करने और उन्हें 6000 सालाना सम्मान राशि देने की बात की गई हो लेकिन अब 10 साल सत्ता में रहकर भाजपा ने अपनी पकड़ इतनी मजबूत बना ली है कि वह अपनी जीत की हैट्रिक लगाने का दावा ही नहीं कर रही है अपितु कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते हुए वह विपक्ष मुक्त भारत की बात तक पहुंच गई है। 2019 में भाजपा ने अबकी बार 300 पार का जो नारा दिया था 303 सीटें हासिल कर उसे सच भी साबित कर दिया था। अब 2024 के चुनाव से पहले ही भाजपा ने चुनाव परिणाम घोषित कर दिए हैं। प्रधानमंत्री अपने तीसरे टर्म में विकसित भारत की बात कर रहे हैं तथा विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का दावा कर रहे हैं। उन्होंने 2024 में भाजपा के 370 सीटें जीतने और एनडीए के 400 से अधिक सीटें जीतने का दावा संसद में करते हुए जो कुछ कहा है वह हैरान करने वाला है। उनका कहना है कि अगली बार विपक्ष दर्शक दीर्घा में बैठा नजर आएगा। सवाल यह है कि किसी लोकतांत्रिक देश में इस तरह की भविष्यवाणी या दावा किया जा सकता है। ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी जो कह रहे हैं वह असंभव हो लेकिन देश के 140 करोड लोगों का मतपत्र बाचने की अद्भुत ऐसी क्षमता शायद किसी के पास नहीं हो सकती। ऐसा दावा सिर्फ वही सरकार कर सकती है जिनके नियंत्रण में संपूर्ण व्यवस्था आ चुकी हो, चाहे वह मीडिया हो या निर्वाचन आयोग या फिर न्यायपालिका या राज्यों की सत्ता। लोकतंत्र जो बिना विपक्ष के जीवित नहीं रह सकता तब क्या मोदी के इस दावे का अर्थ लोकतंत्र की देश से विदाई तय हो जाना है। ऐसी संभावनाएं विपक्ष के कई नेता भी जता चुके हैं। 2024 का आगामी चुनाव देश के लोकतंत्र का भविष्य तय करने के संदर्भ में अति महत्वपूर्ण रहने वाला है। यह बात मोदी की भविष्यवाणी जरूर तय करेगी।