आओ ऐसा दीप जलाएं?

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ट्टएक दीया ही सही, पर लड़ रहा तूफान से इस तिमिर में जो अकेला जल रहा है शान से हार जाएंगे अंधेरे, मन में यह विश्वास है जीत जाएंगे उजाले, अपने आत्मज्ञान से, दीप पर्व दीपावली हर वर्ष हर किसी के लिए आत्म चिंतन और कुछ सुखद अहसास लेकर आती है। जब प्रकृति अपने बदलाव का एहसास करा रही होती है और धरती दीप मालाओं से जगमग हो रही होती है। तब हम सभी का मन व्यतीत की तमाम व्यंजनाओ की सीमाएं तोड़कर नए संकल्प और विकल्पों के साथ आगे बढ़ने के मार्ग तलाशने की नई कोशिशें कर रहे होते हैं। दीपावली का संपूर्ण सार उसे दिए में निहित होता है जो हमारे द्वारा जलाया जाता है। यही कारण है कि हमारे मनीषियों द्वारा यह आग्रह किया जाता है कि सभी इस दीपावली पर एक दिया जरूर जलाएं। दिया आपको सिर्फ अंधकार रूपी अज्ञानता से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर बढ़ने की प्रेरणा ही नहीं देता है इसके अतिरिक्त भी ऐसे अनेक भाव आपके मन और आत्मा में भरने की सामर्थ्य रखता है जिनकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। दिया आपके जीवन से निराशा और नकारात्मकता को निकाल कर बाहर फेंकने की शक्ति प्रदान करने का सबसे सशक्त उपाय है दिए में घृणा और नफरत की भावना को समाप्त करने की शक्ति निहित है। दिया प्रेम का ऐसा अद्भुत संदेश है जो आपको सभी से प्रेम करने की कला सिखा सकता है और आपकी सामाजिक मान प्रतिष्ठा व सम्मान को चार चांद लगा सकता है। दिया त्याग का वह प्रतीक है जो खुद जलकर दूसरों को उजाला प्रदान करता है। दिया दान का प्रतीक है। किसी के भी जीवन में दिया का महत्व सबसे अहम होता है। अक्सर हम सभी हर किसी से कुछ न कुछ पाने की या लेने की अभिलाषा ही रखते हैं। हमे सभी से यह अपेक्षा होती है कि सब हमारी इच्छानुकूल कार्य करें, सब हमारा कहना माने, हमारा सम्मान करें, हमें प्यार दे यानी हमें हर किसी से सिर्फ चाहिए ही चाहिए? सवाल यह है कि हमने उन सभी को दिया क्या है? सिर्फ चाहिए और चाहिए के अलावा भी बहुत कुछ है जीवन में और वह है दिया। प्रकृति जिसका मूल स्वभाव सिर्फ देना ही देना होता है हम भी इस प्रकृति का एक अंश है इंसान का मूल स्वरूप भी देने का ही है लेकिन भौतिकतावादी इस युग में हम अपने इस प्रकृतिदत्त मूल स्वरूप को भूल चुके हैं। इस दीपावली पर जब एक दिया जलाएं तो अपने मूल स्वरूप की प्राप्ति का संकल्प ले और लेने की कामना से मुक्त होकर देने वालों की कतार में खड़े होने की कामना करें। यह प्रकृति का नियम है आप जो दूसरों को देंगे दूसरे भी आपको उसके एवज में वैसा ही देंगे जैसा आपने उन्हें दिया है। इस दीपावली पर आप अगर किसी को कुछ अच्छा देते हैं तो आपने जिसे अच्छा दिया है वह भी किसी एक अन्य को वैसा ही कुछ अच्छा देगा जैसा आपने उसे दिया है और फिर ऐसे ही अच्छे—अच्छे दीप और दियों की दीपमालाएं बनती चली जाएगी। भले ही कितना भी समय लग जाए लेकिन आपका जलाया हुआ एक दिया एक दिन पूरी धरा को जगमग रोशनी से भर देगा। आपने क्या कभी सोचा है कि दीपावली अमावस्या को ही क्यों मनाई जाती है क्योंकि कार्तिक अमावस्या की रात ही सबसे काली होती है। अगर घोर तिमिर की यह रात नहीं होती तो न दिए का कोई अस्तित्व होता और न दीपावली का। अगर इस तिमिरमयी रात का अंत करना है और कोई अखंड दीप जलाना है तो इस दीपावली पर आप एक दिया जरूर जलाएं। देने के संकल्प वाला दिया। दीप पर्व दीपावली पर आप सभी के जीवन में खुशियां लेकर आए सभी सुखी हों समर्थ हो, इन्हीं कामनाओं के साथ सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।

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