अडिग संघर्ष व मानवीय मूल्यों को समर्पित 32 साल

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स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जब अंग्रेजी हुकूमत का अत्याचार अपने चरम पर था तब अकबर इलाहाबादी द्वारा लिखी गई यह पंक्तियां ‘जब तोप से मुकाबला हो तो अखबार निकालो, किसी भी दौर में एक राष्ट्रभक्त नागरिक और समाजसेवी को अखबार निकालने की प्रेरणा बन सकते हैं। निसंदेह पत्रकारिता के मूल उद्देश्यों में हर जुल्म, ज्यादती और हुकूमतों की तानाशाही को रोकना ही सबसे प्रमुख कारण रहा है, यह अलग बात है कि समय—काल और परिस्थितियों के अनुरूप पत्रकारिता का मूल स्वरूप भी बदलता रहा है। बीते कुछ समय से पत्रकारिता भी एक ऐसे संक्रमण काल का शिकार हो चुकी है जहां वह अपने राष्ट्रीय, मानवीय और सामाजिक सरोकारों की जगह अपने निजी स्वार्थो की पूर्ति के लिए शासन—प्रशासन की चाटूकारिता को ही अपना कर्तव्य मान बैठे है। इतिहास की तारीखों में आज के दौर की पत्रकारिता को कैसे दर्ज किया जाएगा यह सवाल किसी भी पत्रकार के मन में कभी न कभी तो आता ही होगा। इस देश की पत्रकारिता ने भी स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर अभी बीते दिनों छत्तीसगढ़ में पत्रकार मुकेश चंद्रा की हत्या कर उनका शव पानी के टैंक में फेंक दिए जाने तक अनेक उतार—चढ़ाव देखे। 1970 का वह दशक जब देश में आपातकाल के दौरान अभिव्यक्ति की आजादी पर ताले डाल दिए गए थे तथा आज का यह दौर जहां पत्रकारिता सच कहने और सच लिखने का साहस खो चुकी है, पत्रकारिता जगत की चुनौतियां अत्यंत ही गंभीर हो चुकी हैं। लेकिन इस सबके बीच भी देश में जब तक लोकतंत्र जिंदा है हम पत्रकारिता के भविष्य की उम्मीदों का दामन नहीं छोड़ सकते हैं।
सांध्य दैनिक ‘दून वैली मेल’ ने आज से 32 साल पहले जब पत्रकारिता की दुनिया में पहला कदम रखा था तब वर्तमान दौर की पत्रकारिता के मिजाज और स्थितियाें तथा चुनौतियों के बारे में वह कल्पना भी नहीं की गई थी कि तीन दशक में इतना सब कुछ बदल जाएगा। इस बदलाव की चुनौती के साथ ‘दून वैली मेल’ स्वयं में कितना बदलाव कर सका अब इसकी समीक्षा करने की अगर कोशिश भी करते हैं तो भले ही कुछ और न सही लेकिन एक सुखद एहसास की अनुभूति जरूर होती है कि ‘दून वैली मेल’ आज भी अपने उन्ही मूल सिद्धांतों पर अपना सफर जारी रखे हुए हैं जो 32 साल पहले इसके पहले अंक के प्रकाशन केे साथ जुड़े थे। यह सफर अपने अंतिम पग तक उन्हीं मानवीय मूल्यों के साथ जारी रह सके इसी मनोकामना के साथ ‘दून वैली मेल’ के सभी शुभेच्छुओ को हार्दिक धन्यवाद।

संपादक
कांति कुमार
सांध्य दैनिक ‘दून वैली मेल’ देहरादून

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