नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में सुधार के लिए शुक्रवार को लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए । ये तीनों कानून देश में ब्रिटिश काल से लागू हैं। गृहमंत्री अमित शाह ने इन तीनों विधेयकों को पेश करते हुए कहा है कि ‘इसका लक्ष्य सजा नहीं, न्याय देना है।’ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को संसद में भारतीय दंड संहिता,दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को खत्म करने और उनकी जगह नए कानून लाने का प्रस्ताव रखा है। सदन में विधेयक पेश हुए गृहमंत्री ने कहा है कि विधेयकों में विवादास्पद राजद्रोह कानून को समाप्त करने का प्रावधान है। साथ ही मॉब लिंचिंग के मामलों में मृत्युदंड का भी प्रावधान किया जाएगा। विधेयकों को पेश कि जाने के साथ ही अमित शाह ने कहा कि इन्हें संसद की स्थायी समिति में विचार के लिए भेजा जाएगा।
ब्रिटिश हुकूमत के कालखंड वाले आपराधिक कानूनों में बदलाव का बिल पेश करते हुए गृहमंत्री ने कहा, ’16 अगस्त से आजादी का 75 से 100 वर्ष का रास्ता शुरू होगा। प्रधानमंत्री ने गुलामी की मानसिकता को समाप्त करने का संकल्प लिया था। हम आईपीसी (1857), सीआरपीसी (1858), इंडियन एविडेंस ऐक्ट (1872) को खत्म करेंगे, जो कि अंग्रेजों द्वारा बनाए गए थे। इसकी जगह पर हम तीन नए कानून लाएंगे, ताकि अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्ति हो सके। इसका लक्ष्य सजा नहीं, न्याय देना है।’ गृहमंत्री ने यह भी कहा है कि ‘लोग अदालतों में जाने से डरते हैं…क्योंकि उन्हें लगता है कि कोर्ट में जाना ही सजा है….’ गृहमंत्री ने लोकसभा को बताया कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता लेगा। पहले इसमें 511 धाराएं थीं, इसकी जगह अब 356 ही धाराएं होंगी। 175 धाराओं में संशोधन किया गया है।