हो गई सबकी बल्ले—बल्ले

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उत्तराखंड का राजनीतिक परिदृश्य बीते एक सप्ताह में जिस तेजी से बदला है उनकी संभावना भाजपा के नेताओं को नहीं थी। राज्य में सिर्फ मुख्यमंत्री का चेहरा ही बदला है प्रत्यक्ष और परोक्ष में बहुत कुछ या यह कहो कि सब कुछ बदल गया है तो अतिशयोत्तिQ नहीं होगी। नए सीएम पुष्कर धामी ने भले ही अपने पुराने सभी मंत्रियों के साथ सत्ता संभाली हो लेकिन जिस तेजी से उन्होंने मुख्य सचिव के ट्रांसफर के साथ नौकरशाही में फेरबदल का संदेश दिया है वह साफ है। नौकरशाही के शीर्ष से बदलाव की उन्होंने जो प्रक्रिया शुरू की है उससे अधिकारियों में बढ़ा फेरबदल होना तय है। शपथ ग्रहण से पूर्व कुछ मंत्रियों की नाराजगी की खबरें भले ही कुछ समय के लिए विचलित करने वाली रही हो लेकिन संशय के बादलों को फटने में जरा भी देरी नहीं लगी। मुख्यमंत्री धामी ने बड़ी सहजता से स्थितियों पर नियंत्रण पा लिया है। कुर्सी संभालते ही तुरंत कैबिनेट बैठक में कुछ अहम फैसले लेकर उन्होंने अपना विजन साफ करने में जरा भी देरी नहीं की। त्रिवेन्द्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकार भले ही अपने कार्यकाल में खाली पड़े दो मंत्री पदों को न भर सकी हो लेकिन संशय के बादलों को फटने में जरा भी देरी नहीं लगी। मुख्यमंत्री धामी ने बड़ी सहजता से स्थितियों पर नियंत्रण पा लिया है। कुर्सी संभालते ही तुरंत कैबिनेट बैठक में कुछ अहम फैसले लेकर उन्होंने अपना विजन साफ करने में जरा भी देरी नहीं की। त्रिवेंद्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकार भले ही अपने कार्यकाल में खाली पड़े दो मंत्री पदों को न भर सकी हो लेकिन धोनी ने शपथ ग्रहण के समय अपने तीनों राज्य मंत्रियों को कैबिनेट मंत्री बना कर उनका प्रमोशन कर दिया गया। धामी की सोच रही होगी कि वह विधायक से एक बार भी मंत्री बने बिना सीधे सीएम बन सकते हैं तो राज्य मंत्रियों को कैबिनेट मंत्री क्यों नहीं बनाया जा सकता है? सीएम की किसी को भी नाखुश न करने की नीति उन्हें खूब रास आ रही है। उन्होंने यह समझ लिया है कि इस शतरंज की बिसात पर उन्हें सिर्फ आगे ही नहीं बढ़ना है चारों तरफ दो—दो कदम चलना है। तभी उनका सुरक्षा चक्र बना रह सकता है उन्होंने अपने मंत्रियों को विभागों के बंटवारे से भी पहले जिलों के प्रभार की जिम्मेवारी सौंप दी। जहां मंत्रियों को विभाग बांटे जाने थे तो उन्होंने अपने सबसे अधिक नाराज नेताओं का सबसे ज्यादा ख्याल रखा। धन सिंह रावत को काबीना मंत्री बनाने के साथ उन्होंने स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेवारी सौंप दी। जिसे तीरथ व त्रिवेंद्र स्वयं अपने पास रखे हुए थे। डॉ हरक सिंह रावत को सीएम ने घर बुलाकर भोज ही नहीं दिया बल्कि उन्हें ऊर्जा मंत्रालय भी सौंप दिया जो राज्य के इतिहास में पहली बार है। लोक निर्माण विभाग जिस पर अक्सर सभी मुख्यमंत्री अपना कब्जा बनाए रखते हैं सतपाल महाराज को देकर बड़ी उदारता दिखाई है। चार दिन बाद इतने सारे काम करने के बाद मुख्यमंत्री अब पूरी तरह रिलैक्स हो चुके हैं। चारों तरफ अब ऑल इज वेल ही दिखाई दे रहा है। अब सभी एक स्वर से कह रहे हैं कहीं कोई नाराजगी नहीं है। अब जब सबकी मुरादें पूरी हो चुकी हैं तो धामी अपने मंत्रियों से यह उम्मीद भी कर सकते हैं कि अब सब सिर्फ काम और 2022 के चुनाव पर ध्यान दें।

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