आर्थिक पैकेज या चुनावी रेवड़ियां

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उत्तराखंड की राजनीति में इन दिनों आर्थिक पैकेजों को लेकर माहौल गरमाया हुआ है, कांग्रेसी नेताओं का आरोप है कि सूबे की सरकार ने जो हजारों करोड़ के राहत पैकेज देने की घोषणा की है वह नोट के दम पर वोट बटोरने का प्रयास है। चुनाव नजदीक आते ही अब सरकार को कोरोना पीड़ितों की सहायता की याद आ गई है और बेरोजगार तथा गरीबों की चिंता सताने लगी है। साढे चार साल में उसने किसी के लिए कुछ भी क्यों नहीं किया, कोरोना की मार तो लोग बीते साल मार्च से झेल रहे हैं। सरकार ने किसी की गुहार नहीं सुनी। भले ही कांग्रेस नेताओं के इस आरोप में दम सही किंतु भाजपा जिसने आपदा में यह अवसर न सिर्फ तलाश लिया है बल्कि उसे 2022 के चुनाव में जीत का मूल मंत्र मान लिया और इसके दम पर चुनाव जीतने की ठान ली है। भाजपा नेता अब कांग्रेस के इन आरोपों को यह कहकर खारिज कर रहे हैं कि कांग्रेस को यह इसलिए अच्छा नहीं लग रहा क्योंकि वह गरीब विरोधी है वह सिर्फ राजनीति के चश्मे से हर काम को देखते हैं सरकार पीड़ितों की मदद कर रही है यह भी अब उन्हें अच्छा नहीं लग रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि आपदा को अवसर कैसे बनाना है तथा वार पर प्रतिवार कैसे? इसमें भाजपा को जो महारत हासिल है वह किसी को नहीं हो सकती है। आपको याद होगा कि जब राहुल गांधी ने चौकीदार चोर है का नारा दिया था तो भाजपा ने कैसे सारे देश की जनता को चौकीदार बना दिया था और यह समझा दिया था कि राहुल गांधी आपको चोर बता रहे हैं। यह एक उदाहरण भर है। अभी हम संसद में ओबीसी सांसदों के परिचय के दौरान हुए हंगामे के दौरान भी यह देख चुके हैं जब पीएम ने संसद में कहा कि विपक्ष इसलिए पिछड़े आदिवासियों का परिचय नहीं होने दे रहा है क्योंकि उन्हें इस बात का मलाल है कि यह मंत्री कैसे बन गए? जबकि हंगामे से इस बात का कुछ लेना—देना नहीं था। खैर हम इसे भाजपा का राजनीतिक रण कौशल ही कहेंगे जिसका जवाब वर्तमान के विपक्ष के पास नहीं है। जो उनकी नाकामियों का अहम कारण भी है। उत्तराखंड में चुनावी साल में तीन—तीन मुख्यमंत्री बदलने वाली भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री धामी इन दिनों जमकर लोगों पर धन वर्षा कर रहे हैं। अच्छा है, चुनावी लाभ के लिए ही सही महंगाई—बेरोजगारी और कोरोना की मार से बेहाल सूबे के लोगों को इससे थोड़ी राहत तो जरूर मिलेगी ही। मुख्यमंत्री धामी अब तक 200 करोड़ से अधिक का राहत पैकेज स्वास्थ्य व सफाई कर्मियों जिन्हें कोरोना वारियर्स कहा जाता है को दे चुके हैं। 200 करोड़ से अधिक राहत पैकेज पर्यटन व परिवहन व्यवसायियों को भी दिया जा चुका है। लगभग 119 करोड़ का पैकेज महिला स्वयं सहायता समूहों व स्वरोजगार योजनाओं से जुड़े लोगों को दिया गया। गरीबों को नवंबर तक पांच—पांच किलो मुफ्त राशन भी मिल ही रहा है किसानों को सम्मान राशि व अन्य कई केंद्रीय योजना का लाभ लोग उठा रहे हैं। अभी चुनाव में पांच—छह महीने हैं तब तक और भी न जाने किस—किस को आर्थिक पैकेजों का लाभ दिया जाएगा कहना मुश्किल है हां यह जरूर कहा जा सकता है इसकी संख्या 60 लाख तक पहुंच ही जाएगी जो भाजपा की जीत का आधार बन सकती है ऐसे में कांग्रेसी नेताओं का परेशान होना भी स्वाभाविक है।

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