नई दिल्ली। भारत की हॉकी टीम ने 41 साल बाद ओलंपिक्स में पदक हासिल कर इतिहास दोहरा दिया। भारतीय टीम ने 1980 मास्को ओलंपिक में अपने आठ स्वर्ण पदक में से आखिरी पदक जीतने के 41 साल बाद ओलंपिक पदक जीता है। आखिरी चंद सेकंड में जर्मनी को मिले पेनल्टी कॉर्नर को ज्यों ही गोलकीपर पी आर श्रीजेश ने रोका, भारतीय खिलाड़ियों के साथ टीवी पर इस ऐतिहासिक मुकाबले को देख रहे करोड़ों भारतीयों की भी आंखें नम हो गईं। पूरे मैच के दौरान पीएम मोदी टकटकी लगाए बैठे रहे और जीत के बाद खिलाड़ियों को बधाई दी।
भारतीय हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह ने कहा, मुझे नहीं पता कि अभी क्या कहना चाहिए, लेकिन यह शानदार था। हम 3-1 से नीचे पिछड़ रहे थे, लेकिन हमने शानदार वापसी की और अंतत: मैच जीत लिया। मुझे लगता है कि हम इस पदक के काबिल हैं। हमने इतनी मेहनत की है। पंजाब के खेल मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी ने भारतीय पुरुष हॉकी टीम के पंजाब प्लेयर्स को 1-1 रुपए कैश अवॉर्ड के रूप में देने का ऐलान किया है।
भारत और जर्मनी के बीच ब्रॉन्ज मेडल के लिए चला मुकाबला बड़ा ही दिलचस्प रहा। पहला क्वार्टर पूरी तरह से जर्मनी के नाम रहा, जिसके खत्म होने पर वो 1-0 से आगे रहा। वहीं दूसरा क्वार्टर दोनों टीमों के बीच 3-3 गोल की बराबरी पर खत्म हुआ। यानी दूसरे क्वार्टर में भारत ने 2 गोल खाए तो 3 गोल दागे भी। भारत के लिए ये गोल सिमरनजीत सिंह, हार्दिक और हरमनप्रीत ने दागे।इसके बाद तीसरा क्वार्टर पूरी तरह से भारतीय टीम के नाम रहा। भारत ने इस क्वार्टर में 2 गोल दागे पर खाए एक भी नहीं और इस तरह 5-3 की बढ़त ले ली। इस क्वार्टर में रूपिंदरपाल और सिमरनजीत ने गोल दागे। मैच के आखिरी क्वार्टर में भारत के सामने अपनी बढ़त को बरकरार रखने की चुनौती थी, जिसमें वो कामयाब रहा। आखिरी क्वार्टर में एक गोल जरूर खाए पर बढ़त बरकरार रही।