इन दिनों उत्तराखंड में बारिश ने कहर बरपा रखा है। भारी बारिश के कारण राज्य के तमाम राष्ट्रीय राजमार्गों सहित साढे़ तीन सौ से अधिक सड़कें बंद हो चुकी हैं जिन पर या तो भूस्खलन के कारण भारी मात्रा में मलबा आ गया है या पानी के तेज बहाव में यह सड़कें बह गई हैं। यही नहीं सूबे के नदी नालों और खालो पर बने दर्जनभर स्थाई और अस्थाई पुल भी टूट चुके हैं। जिससे उत्तराखंड की लाइफ लाइन कही जाने वाली यातायात व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। बीते कुछ सालों में यह समस्या राज्य में चल रहे ऑलवेदर चारधाम मार्ग निर्माण के कारण भी बढ़ी है। सड़क चौड़ीकरण के लिए किए जा रहे कटान के कारण राज्य में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ी है। पहाड़ों के कमजोर होने से वह धूप, सर्दी और बरसात की मार नहीं झेल पा रहे हैं। राज्य में एक तिहाई सड़कों पर आवागमन अगर बाधित हो जाए तो इससे तमाम तरह की समस्याओं का पैदा होना भी स्वाभाविक है। सड़कों के टूट जाने से सैकड़ों गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से टूट जाता है। जरूरी खाघ सामग्री का लोगों तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है वहीं अगर कोई मेडिकल इमरजेंसी या प्राकृतिक आपदा की स्थिति होती है तो पीड़ितों को समय रहते सहायता पहुंच पाना भी संभव नहीं होता है। बात अगर देहरादून जिले की की जाए तो इस समय जिले की 26 सड़कें बंद पड़ी हैं तथा यही हाल उत्तरकाशी जहां 72 तथा चमोली जहां 80 व पौड़ी की 50 सड़कें फिलहाल आवाजाही के लिए बंद पड़ी हैं। भले ही इन सड़कों को खोलने का कार्य लगातार चलता रहता है लेकिन पूरे 3 महीने तक इन सड़कों की यही स्थिति बनी रहती है। सड़कों को खोलने व बंद होने का यह सिलसिला पूरे मानसून यूं ही चलता रहता है। इन सड़कों पर आए मलबे को भले ही हटा दिया जाए लेकिन जो सड़कें टूट जाती है उनका निर्माण कार्य बारिश में संभव नहीं होता यही कारण है कि हर साल मानसूनी सीजन में उत्तराखंड की सड़कों की हालत बद से बदतर हो जाती है। कोरोना की दूसरी लहर थमने के बाद उत्तराखंड सरकार राज्य में चारधाम यात्रा को शुरू करने की लड़ाई लड़ रही है यह अलग बात है कि मामले के सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद हाईकोर्ट ने अभी अट्ठारह अगस्त तक इस पर रोक लगा रखी है लेकिन आज की ताजा स्थिति पर गौर करें तो गंगोत्री—यमुनोत्री ही नहीं बदरीनाथ राजमार्ग तक बंद पड़े हैं। ऐसे में क्या राज्य में चारधाम यात्रा का शुरू किया जाना संभव है? सही मायने में राज्य की सड़कों की वर्तमान स्थिति न पर्यटक के लिहाज से न चार धाम यात्रा के हिसाब से उचितं है। सरकार सड़कों की इस स्थिति पर क्या कहती है अलग बात है लेकिन मानसून से पूर्व सड़कों की स्थिति सुधारे जाने पर सरकार ने काम नहीं किया यह भी सच है अन्यथा स्थिति इतनी अधिक खराब नहीं होती।