सरकार के गले की फांस बनी चार धाम यात्रा श्राइन बोर्ड

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तीर्थ पुरोहितों ने किया आर पार की लड़ाई का ऐलान
मुख्यमंत्री धामी आज कर रहे हैं इस पर बैठक

देहरादून। त्रिवेंद्र सरकार द्वारा बनाया गया चार धाम यात्रा श्राइन बोर्ड अब सरकार के गले की फंास बन चुका है। एक तरफ जहां बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर तीर्थ पुरोहितों का आंदोलन उग्र रूप लेता जा रहा है वहीं बोर्ड के गठन पर राजनीति भी अपने चरम पर पहुंच चुकी है।
तीर्थ पुरोहित चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन से ही इसका विरोध कर रहे हैं तथा बोर्ड को रद्द करने और पुरानी व्यवस्था बहाली की मांग पर अड़े हुए हैं। चार धाम महापंचायत द्वारा अब इस मुद्दे पर आर—पार की जंग का ऐलान कर दिया गया है। तीर्थ पुरोहितों की मांग को लेकर हरीश डिमरी का कहना है कि बीते 2 साल से इस मुद्दे पर चारों धामों में लगातार विरोध प्रदर्शन और सरकार से वार्ता का क्रम जारी है लेकिन तीन मुख्यमंत्रियों द्वारा हमेशा इस पर पुनर्विचार की बात कहकर इसे टाला जा रहा है उनका कहना है कि यदि सीएम पुष्कर धामी इस पर शीघ्र फैसला नहीं लेते तो यह आंदोलन 1 अगस्त से और उग्र हो जाएगा। 15 अगस्त को 4 तीर्थ पुरोहितों द्वारा जल समाधि ली जाएगी उन्होंने साफ कहा है कि अगर बोर्ड को रद्द नहीं किया तो भाजपा 60 प्लस नहीं 60 माइनस के लिए तैयार रहें।
तीर्थ पुरोहितों की नाराजगी के बीच पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यह कहकर कि बोर्ड गठन का कहीं कोई विरोध नहीं हो रहा है जो विरोध हो रहा है वह कांग्रेसी करा रहे हैं। इस मामले को राजनीतिक रंग दे दिया गया है। कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह ने इसे पूर्व सीएम त्रिवेंद्र की बौखलाहट बताते हुए कहा है कि कांग्रेस ने तो विधानसभा में भी इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार की बात कही थी। त्रिवेंद्र सिंह रावत और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज अभी बोर्ड गठन के फैसले को सही बता रहे हैं जबकि तीरथ रावत के बाद अब पुष्कर धामी भी इस पर पुनर्विचार की बात कह रहे हैं। मुख्यमंत्री आज भी इस मुद्दे पर एक बड़ी बैठक करने जा रहे हैं। खबर है कि केंद्र से उन्हें इस मुद्दे के जल्द निस्तारण के निर्देश दिए गए हैं
यहां यह उल्लेखनीय है कि 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा मां वैष्णो देवी मंदिर की तर्ज पर चारों धामों के लिए चार धाम श्राइन बोर्ड गठन का फैसला लिया गया था जिसमें बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री सहित कुल 51 मंदिरों को शामिल किया गया था। इससे पूर्व 1939 मे लाए गये गई अधिनियम के तहत बदरीनाथ—केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा ही चारों धामों की यात्रा व्यवस्था और पूजा—पाठ की व्यवस्था की जाती थी 80 साल पुरानी इस परम्परा को बदले जाने से इन धामों और मंदिरों के तीर्थ पुरोहित व पुजारी इसे अपने हक हकूक को छीने जाने के तौर पर देख रहे हैं। वहीं पूजा पद्धति बदले जाने से नाराज हैं। 2004 में तत्कालीन सीएम एनडी तिवारी द्वारा भी चार धाम विकास परिषद के गठन का प्रयास किया गया था।

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