हमारे संवाददाता
देहरादून। उत्तराखंड में भले ही डबल इंजन की सरकार हो लेकिन खटीमा से सितारगंज होते हुये किच्छा तक नई रेल लाइन परियोजना केन्द्र व राज्य सरकार की रस्सा कशी में अटकी पड़ी हैै। इसके अतिरिक्त टनकपुर—बागेश्वर रेल लाइन के फाइनल लोकेशन सर्वे की रिपोर्ट जनवरी 2023 में प्रस्तुत किया जाना प्रस्तावित है। यह खुलासा रेलवे बोर्ड द्वारा सूचना अधिकार के अन्तर्गत उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ हैै।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने रेेल मंत्रालय से उत्तराखंड की नई रेल लाइनों के विकास के सम्बन्ध में सूचनायें मांगी थी। रेल मंत्रालय के लोक सूचना अधिकारी द्वारा खटीमा—सितारगंज—किच्छा तथा टनकपुर—बागेश्वर रेल लाइन की सूचनायें उपलब्ध कराने के लिये इसे रेलवे बोर्ड को हस्तांतरित कर दिया। इसके जवाब में रेलवे बोर्ड के निदेशक/गति शक्ति सिविल—4 एफ.ए.अहमद ने अपने पत्रांक 03875 दिनांक 18 अक्टूबर 2022 के साथ अनुभाग अधिकारी (कार्य—1) रेलवेे बोर्ड, चन्द्र शेखर वर्मा द्वारा दिये गये उत्तरों की प्रति उपलब्ध करायी गयी है।
उपलब्ध सूचना के अनुसार उत्तराखंड में खटीमा से सितारगंज होते हुये किच्छा तक प्रस्तावित रेल लाइन केे विवरण मेेंं बताया गया है कि किच्छा खटीमा नई लाइन का सर्वे किया जा चुका हैै। 53.60 किमी. की लम्बाई वाले इस रेलपथ की लगभग 9 किमी लम्बाई रिजर्व जंगल से गुजर रही है। सर्वे रिर्पाेेर्ट के अनुसार इस परियोजना की लागत 1546 करोड़ रूपये है जिसमें 528.69 करोड़ रूपये मात्र भूमि की लागत है। अतः राज्य सरकार सेे अनुरोध किया गया है कि परियोजना हेतु लागत रहित भूमि रेलवे को प्रदान की जाए। राज्य सरकार द्वारा इस विषय में असमर्थता जताई गयी है। जिस कारणवश परियोजना में प्रगति रूकी हुई है। वहीं टनकपुर—बागेश्वर (155 किमी.) नई रेल लाइन के निर्माण के लिये एफ.एल.एस (फाइनल लोकेशन सर्वे) 11अक्टूबर 2021 को स्वीकृत किया गया है जिसकी रिपोेर्ट जनवरी 2023 में प्रस्तुत किया जाना प्रस्तावित है। रिपोर्ट प्रस्तुत होने के उपरान्त ही कोई निर्णय लिया जा सकेगा।
बताया जा रहा है कि यह रेल लाइनें नेपाल, चीन की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा को जोड़नेे पहाड़ के विकास तथा सितारगंज औघोगिक क्षेत्र के विकास के लिये भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इसलिये इनका शीघ्र निर्माण आवश्यक है। उत्तराखंड व केन्द्र में एक ही दल की सरकार के होते हुुये और खटीमा स्वयं वर्तमान मुख्यमंत्री की कर्म भूमि होते हुये भी भूमि देने के विवाद में खटीमा—सितारगंज किच्छा रेल परियोजना को रोका जाना आश्चर्यजनक हैै।