मुफ्त बिजली चुनावी शगुफा

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देहरादून। ऊर्जा मंत्री डॉ हरक सिंह ने राज्य में घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने और 200 यूनिट तक के उपभोग पर 100 यूनिट की छूट देने की घोषणा तो कर दी लेकिन इस पर जो अतिरिक्त वित्तीय भार बढ़ेगा उसके लिए धन कहां से आएगा? यही नहीं बताया जा रहा है कि राज्य सरकार की वित्तीय स्थिति तो इतनी खराब है कि वह अपने कर्मचारियों को वेतन तक नहीं दे पा रही है फिर मुफ्त बिजली कहां से देगी।
यह कहना है कांग्रेसी नेताओं का। ऊर्जा मंत्री की इस घोषणा को चुनावी और हवा हवाई बताते हुए कांग्रेस ने कहा है कि सरकार अपने कर्मचारियों को तो वेतन भत्ते दे नहीं पा रही है प्रदेश के 20 लाख उपभोक्ताओं को सौ—सौ यूनिट बिजली कहां से और कैसे देगी यह सरकार व ऊर्जा मंत्री ही जानते होंगे। कांग्रेस का कहना है कि डॉ हरक सिंह हवा में तीर चला रहे हैं। उनका कहना है कि हरक सिंह ने न तो इसके लिए कोई कार्य योजना बनाई है और न यह बताया है कि इसके लिए धन कहां से जुटाया जाएगा?
उल्लेखनीय है कि डॉ हरक सिंह ने कहा था कि इसके लिए अतिरिक्त धन की जरूरत नहीं होगी इस योजना पर जो खर्च आएगा उसकी क्षतिपूर्ति विघुत लाइन लॉस और बिजली चोरी रोककर किया जाएगा। उत्तराखंड राज्य अभी भी बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं हो सका है क्योंकि राज्य कीे 28 से अधिक बिजली परियोजनाएं विभिन्न कारणों से अभी भी अधूरी पड़ी हैं। राज्य को अपनी जरूरत के लिए अन्य राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है।
कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भाजपा नकल करना चाहती है लेकिन उसके पास इसकी कोई कार्य योजना नहीं है। राज्य में विधानसभा के चुनाव अब दूर नहीं है यही कारण है कि अब इस तरह की चुनावी घोषणाओं का दौर शुरू हो चुका है। आम आदमी पार्टी जो अब दिल्लीे के बाद पंजाब और उत्तराखंड में भी चुनाव मैदान में उतरने जा रही है द्वारा मुफ्त बिजली और पानी देने की घोषणा कर दी गई है। दबाव में भाजपा भी लोगों को मुफ्त की सौगातें बांटने का तानाबाना बुन रही है। अभी इन लोकलुभावन घोषणाओं की शुरुआत हुई है चुनाव जैसे—जैसे नजदीक आएगा इन मुफ्त की योजनाओं की बाढ़ आने वाली है।

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