देहरादून। कोविड—19 को लेकर केंद्र राज्य और जिला स्तर तक नियम कानूनों की इतनी भरमार है कि आम आदमी इनके चक्कर में चक्कर घिन्नी बन गया है। घर से बाहर निकलने से पहले तमाम औपचारिकताओं को पूरा करना तो बड़ा सरदर्द बन ही गया है इसके बाद भी कहां कब किस तरह उसकी यात्रा में बाधा खड़ी हो जाएगी इसका कोई भरोसा नहीं होता। अच्छा होता कि सरकार कोविड का टीका लगवा चुके लोगों को बिना किसी रोक—टोक के कहीं भी जाने की अनुमति का नियम लागू कर देती। जैसा कि मुंबई में किया गया है।
स्मार्ट सिटी की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराओ, कोविड की 48 घंटे पूर्व तक कि आरटीपीसीआर रिपोर्ट दिखाओ, होटल की बुकिंग के सबूत दो, अपनी आईडी दिखाओ और भी न जाने क्या, इन दिनों आवागमन करने वाले लोगों से मांगा जा रहा है? यही नहीं किसी भी तरह की कोई कमी बताकर यात्रियों व पर्यटकों को आधे रास्ते से ही बैरंग लौटाया जाना भी आम बात है। जैसा की अभी मसूरी और नैनीताल में देखने को मिला।
इन तमाम सारे नियमों पर लोगों को न सिर्फ हजारों रुपए अतिरित्तQ खर्च करना पड़ रहा है जैसे आरटीपीसीआर जांच पर 900 रूपये लगता है, सामान्य जांच पर चार सौ। अगर 48 घंटे से अधिक का समय बाहर आने जाने में लगता है तो जांच रिपोर्ट अमान्य हो जाती है। ऐसे कड़े व उलझाऊ नियमों के साथ क्या पर्यटकों की आवाजाही संभव है? यही कारण है कि लोग फर्जी तरीके अपना रहे हैं और कोविड को बढ़ावा भी दे रहे हैं। जब सरकार वैक्सीन को कोविड का कारगर उपाय या इलाज मान रही है तो उन लोगों को जो वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके हैं अन्य तमाम जाचोंं व औपचारिकता से मुक्त क्यों नहीं कर देती है जैसे मुंबई नगर प्रशासन और महाराष्ट्र सरकार द्वारा किया गया है। यहां वैक्सीनेशन करा चुके लोगों को किसी जांच रिपोर्ट के बिना ही हवाई यात्रा की अनुमति दे दी गई है।
इससे वैक्सीन के प्रति लोगों का भरोसा भी बढ़ेगा और जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है वह टीका लगवाने को प्रेरित भी होंगे तथा लोगों को आरटीपीसीआर जांच के झमेले से भी मुत्तिQ मिल जाएगी तथा उनका पैसा भी बचेगा। टीका लगवा चुके लोगों को मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कहीं भी आने—जाने की छूट होनी चाहिए। इससे गाइडलाइनो का झंझट भी खत्म होगा।