देहरादून। देवस्थानम बोर्ड का गठन सरकार के गले की फांस बन चुका है। सरकार तीर्थ पुरोहितों और हक—हकूक धारियोंं को मनाने के लिए जितने प्रयास कर रही है, आंदोलन और अधिक तेज होता जा रहा है। तीर्थ पुरोहितों को किसी भी आश्वासन पर कोई भरोसा नहीं है उनका साफ कहना है कि बोर्ड भंग करने तक उनका आंदोलन खत्म नहीं होगा।
तीर्थ पुरोहितों की बढ़ती नाराजगी को देखते हुए फिलहाल हाई पावर कमेटी द्वारा इस समस्या का स्थाई हल निकाले जाने तक देवस्थानम बोर्ड के कामकाज पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। लेकिन तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि सरकार कभी अपने फैसले पर पुनर्विचार का भरोसा देकर तो कभी हाई पावर कमेटी बनाकर तो कभी बोर्ड के कामकाज पर रोक लगा कर उन्हें धोखा दे रही है। उनका कहना है कि उनका आंदोलन तब तक खत्म नहीं होगा जब तक सरकार देवस्थानम बोर्ड को भंग नहीं करती है।
उल्लेखनीय है कि देवस्थानम बोर्ड के गठन के विरोध में तीर्थ पुरोहित और हक—हकूकधारी बीते दो साल से आंदोलन कर रहे है। उनके द्वारा अभी अपनी महापंचायत में भाजपा की सदस्यता त्यागने का निर्णय लिया गया था। जिसके बाद अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देवस्थानम बोर्ड के काम पर हाई पावर कमेटी द्वारा इसके पूर्ण समाधान तक रोक लगाने की बात कही गई है। लेकिन आंदोलित तीर्थ पुरोहित इसे धोखा बता रहे हैं।
उधर केदारधाम में धरने पर बैठे तीर्थ पुरोहितों को पुलिस द्वारा वहां से हटाने को कहा गया है। पुलिस का कहना है कि उसे सरकार का आदेश मिला है जिसमें केदारधाम में धरना प्रदर्शन नहीं करने की बात कही गई है। इसे लेकर आंदोलनकारी भड़क गए हैं और उनका कहना है कि सरकार दमनात्मक रवैया अपना रही है लेकिन उनका आंदोलन जारी रहेगा। उधर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने फिर कहा है कि कांग्रेस की सरकार आई तो वह देवस्थानम बोर्ड को भंग कर देंगे। उनके बयान पर काबीना मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा है कि मुंगेरीलाल के सपने से कुछ नहीं होता अगर ऐसा होगा अगर वैसा होगा तो करने वाले सपना देखते रहे कुछ नहीं होगा। उन्होंने कहा है कि देवस्थानम बोर्ड के काम पर रोक लगा दी की गई है। हाई पावर कमेटी इसका स्थाई समाधान निकाल लेगी। किसी की भावना आहत नहीं होगी।