जीरो भ्रष्टाचार, जीरो पेंडेंन्सी

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उत्तराखंड के नए सीएम पुष्कर सिंह धामी जिस जोशो खरोश के साथ काम कर रहे हैं उसे देखकर भले ही उनकी ही पार्टी के कुछ नेताओं को अच्छा न लग रहा हो लेकिन कुछ लोग उनके कामकाज के तरीके को पसंद भी कर रहे हैं। सत्ता संभालते ही उन्होंने नौकरशाही में जो बदलाव किया है उसका साहस उनसे पूर्व के दोनों मुख्यमंत्रियों में से कोई भी नहीं कर सका। कुर्सी संभालते ही उन्होंने मुख्य सचिव से शुरू किया यह बदलाव बड़ी बात है। इसके साथ ही उन्होंने यह संकेत भी दिया था कि यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी। दो दर्जन आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के तबादले कर उन्होंने नौकरशाहों को यह संकेत दे दिया है कि उन्हें सरकार की मंशा के अनुसार काम करना ही होगा। सुबे की बेलगाम नौकरशाही हमेशा ही एक चर्चा और चिंता का विषय रही है। अनुभव व योग्यता की कमी का फायदा उठाते हुए अधिकारी मंत्री और विधायकों को अपनी मंशा के अनुरूप काम करने पर विवश करते रहे हैं। लेकिन अब धामी इस प्रवृत्ति को बदलने का प्रयास कर रहे हैं। कल उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को जीरो पेंडेन्सी का मंत्र दिया है। भले ही हम सभी जानते हैं कि यह संभव नहीं है। लेकिन सीएम की ऐसी इच्छा है यह भी कम महत्वपूर्ण बात नहीं है। अच्छे नियम, कायदे और कानून सभी को अच्छे लगते हैं बशर्ते इनका अनुपालन भी इमानदारी से सुनिश्चित किया जाए। 2017 में जब पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सत्ता संभाली थी तो उन्होंने सबसे पहले भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात कही थी। लोगों को लगा था कि अब सुबे से भ्रष्टाचार का सफाया होकर ही रहेगा। त्रिवेंद्र सिंह ने भी तेज दौड़ लगाते हुए अपनी सरकार के पहले ही विधानसभा सत्र में भ्रष्टाचार निरोधी लोकायुत्त गठन का प्रस्ताव रखा गया था। लेकिन 4 साल मुख्यमंत्री रहने के बाद भी उनका प्रस्ताव सिर्फ प्रस्ताव ही बनकर रह गया। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एन.एच—74 घोटाले की सीबीआई जांच को लेकर एक पत्र लिखा और त्रिवेंद्र सिंह रावत ने फिर कभी दोबारा न तो इस मामले की सीबीआई जांच की बात कही और न लोकायुत्त गठन की तथा न भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात उनकी जुबान पर आई। यह एक उदाहरण मात्र है लोकलुभावन नारे और वायदे न सिर्फ सभी को अच्छे लगते हैं बल्कि लोगों को बहुत जल्दी भ्रमित भी कर देते हैं। भाजपा आएगी रामराज लाएगी। मोदी जी आएंगे अच्छे दिन लाएंगे। कांग्रेस लाओ गरीबी मिटाओ जैसे जुमले सुनते—सुनते लोग अब ऊब चुके हैं। अब जनता को जुमले व नारे तथा लफ्फे लफ्फाजी नहीं चाहिए। सिर्फ काम और विकास चाहिए। सीएम धामी जो कह रहे हैं बातें कम काम ज्यादा। उसे कहने की जरूरत नहीं है अगर वह काम करेंगे या सरकारी दफ्तरों में जीरो पेंडेन्सी होगी तो वह सबको खुद—ब—खुद नजर आने लगेगी। वैसे भी उनके पास काम करने के लिए समय बहुत कम बचा है देखना है कि जनता उनका कितना काम देख पाती है।

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