कावड़ यात्रा बनी गले की फांस

0
698

सरकार नहीं ले पा रही है कोई निर्णय, यूपी व हरियाणा से पड़ रहा है दबाव
देहरादून। उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार द्वारा 25 जुलाई से शुरू होने वाली कावड़ यात्रा को हरी झंडी दे दिए जाने के बाद अब यह मुद्दा उत्तराखंड सरकार के लिए गले की फांस बन चुका है। यही कारण है कि सरकार और सुबे के अधिकारी कावड़ यात्रा को लेकर कोई निर्णय नहीं ले पा रहे हैं।
महाकुंभ के आयोजन में कोविड इंतजामों पर अपनी किरकिरी करा चुकी उत्तराखंड की सरकार के लिए अब कावड़ यात्रा बड़ा सरदर्द बन गई है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी और हरियाणा के मुख्यमंत्री खटृर ने कावड़ यात्रा को हरी झंडी दे दी है, ऐसे में स्वाभाविक है यूपी और हरियाणा से आने वाले कावड़ियों को रोक पाना एक बड़ी चुनौती होगी। यूपी व हरियाणा के लाखों कावड़िए गंगाजल लेने उत्तराखंड आते हैं अगर धामी सरकार कंावड़ यात्रा को मंजूरी दे देती है तो इन लाखों कांवड़ियों से कोर्ट की गाइडलाइनों का पालन सुनिश्चित कराना आसान नहीं होगा और अगर यात्रा की अनुमति नहीं दी जाती है तो सीमा पर इतना सुरक्षा बल तैनात करना होगा कि वह इन कांवड़ियों को राज्य की सीमाओं में प्रवेश से रोक सके। कुल मिलाकर दोनों ही स्थितियां अत्यंत चुनौतीपूर्ण है। यही कारण है कि सरकार और अधिकारी लंबी जद्दोजहद के बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहे हैं।
सच यह है कि धामी सरकार कावड़ यात्रा पर रोक लगाना चाहती है। सूबे के पुलिस महानिदेशक ने पूर्व में कहा भी था कि कांवड़ यात्रा पर रोक लगाई जाएगी तथा किसी भी कांवड़िये को राज्य की सीमाओं में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। लेकिन योगी और खटृर सरकार द्वारा कावड़ यात्रा को हरी झंडी दिए जाने से समस्या गंभीर हो गई है। सुबे के अधिकारियों ने पहले यूपी व हरियाणा सरकार से यात्रा पर रोक लगाने का अनुरोध भी किया था जिसका कोई असर नहीं हुआ। वहीं दूसरी ओर सरकार चार धाम यात्रा शुरू कराने के निर्णय पर कोर्ट के चक्कर काट रही है और मामला सुलझता नहीं दिख रहा है। ऐसे में अब कांवड़ यात्रा पर सरकार संकट में फंस चुकी है और कोई निर्णय नहीं ले पा रही है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here